VHP धर्म संसद में अब होगा अयोध्या राम मंदिर निर्माण मुद्दे पर मंथन
संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद की बहुप्रतीक्षित धर्म संसद में शुक्रवार को अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उठ रही आवाज के बीच संतों-महंतों का जोरदार मंथन होगा।
प्रयागराज, जेएनएन। भव्य और दिव्य कुंभ में राम मंदिर का मुद्दा गरमा गया है। अयोध्या में राम मंदिर को लेकर उठ रही आवाज के बीच शुक्रवार को संतों-महंतों का जोरदार मंथन होगा। दरअसल, संगम तट पर विश्व हिंदू परिषद की बहुप्रतीक्षित धर्म संसद चल रही है। लोकसभा चुनाव के करीब होने वाली इस धर्म संसद का धर्म से अछूता नहीं रहना भी स्वाभाविक ही है। इसी सिलसिले में आज संतों गठबंधन की राजनीति को हिंदुओं को बांटने की साजिश करार दिया। सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नकार दिया। संतों ने दो टूक कह दिया कि सनातन परंपरा में अदालत का हस्तक्षेप हरगिज बर्दाश्त नहीं होगा।
धर्म संसद पर चुनाव और राममंदिर की छाया
फिलहाल प्रयागराज कैबिनेट बैठक में मंदिर मुद्दे पर मुख्यमंत्री के सधे बयान और शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद की राम मंदिर स्थापना के लिए अयोध्या कूच की घोषणा के साथ ही विहिप की धर्म संसद पर सभी की निगाहें टिकी थीं। बैठक में राजनीतिक और धार्मिक महानुभावों के बीच कुछ महामंडलेश्वर और देश भर से जुटे संतों की मौजूदगी में परोक्ष रूप से लोकसभा चुनाव और राममंदिर निर्माण का असर साफ दिखा। हालांकि पहले दिन अयोध्या मुद्दे पर खास चर्चा नहीं हुई।
बदलती सियासत पर भी हमला
पूरी धर्म संसद हिंदू समाज के विघटन, धर्मांतरण, मिशनरी, साम्यवाद, कट्टरवादी इस्लामिक ताकतों के बढ़ते प्रभाव, जनसंख्या असंतुलन के इर्द-गिर्द घूमती रही। इस बहाने संतों ने मंच से देश की बदलती सियासत पर भी हमला बोला। मुस्लिम-दलित, क्षेत्र और जातिगत चुनावी गठबंधन को देश के लिए खतरा बताते हुए विदेशी ताकतों की साजिश बताया। हिंदुओं को सचेत करते हुए अपील की गई कि कुछ बाहरी ताकतें हमें आगे बढऩे नहीं देना चाहती हैं। वोटों की राजनीति के लिए देश को दांव पर लगाया जा रहा है।
सबरीमाला पर एकजुट होकर आंदोलन
धर्म संसद के पहले दिन दो प्रस्तावों में केरल के सबरीमाला मंदिर मुद्दे पर सभी संत सुप्रीम कोर्ट और केरल सरकार के फैसले से नाराज दिखे। तर्क दिया गया कि भगवान अयप्पा सिर्फ दक्षिण भारत के भगवान नहीं हैं। समूचे हिंदू समाज में उनके प्रति अगाध आस्था है। प्रस्ताव का संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी पुरजोर समर्थन करते हुए सनातम धर्म की मान्यताओं पर अदालत के हस्तक्षेप को नामंजूर कर दिया। उनके और संतों के समर्थन के बाद ध्वनिमत से प्रस्ताव पास हो गया। साथ ही अयोध्या मुद्दे की तरह ही उत्तर से दक्षिण तक आंदोलन छेड़ा जाने की घोषणा की गई। दूसरा प्रस्ताव हिंदू समाज के विघटन और चल रहे षडय़ंत्र के खिलाफ लाया गया। इस दौरान इशारों-इशारों में हिंदुओं को आगामी चुनाव की दिशा भी दिखाने की कोशिश हुई। शुक्रवार को धर्म संसद में अयोध्या मुद्दे पर मंथन होगा।
धर्म संसद से पहले अयोध्या कूच पर चर्चा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत से मुलाकात की। लगभग डेढ़ घंटे तक बंद कमरे में हुई गुफ्तगू में परमधर्म संसद में हुए अयोध्या कूच के एलान पर चर्चा हुई। सीएम ने संतों की नाराजगी दूर करने के प्रयास पर भी वार्ता की। इसके बाद वह शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास और जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज से भी मुलाकात की। इस दौरान योगी ने राम मंदिर पर सरकार के रुख से संतों को अवगत कराया। मुख्यमंत्री के लगभग साढ़े तीन घंटे के दौरे से कुंभ मेला क्षेत्र में धर्म-अध्यात्म के साथ सियासी पारा भी चढ़ा रहा। कुंभ मेला क्षेत्र में परमधर्म संसद में धर्मादेश पारित कर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या कूचकर 21 फरवरी को राम मंदिर के लिए शिलान्यास की घोषणा की। इससे संतों के साथ ही राजनीतिक गलियारे में हलचल मच गई।