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माफिया को मिट्टी में मिला देंगे! योगीराज में एक के बाद एक ढह गया मुख्तार और अतीक का किला

पुलिस व अभियोजन की लगातार मजबूत होती पैरवी का नतीजा एक बार फिर सामने हैं। माफिया अतीक अहमद के खिलाफ कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही चार दशक बाद मुख्तार अंसारी को सजा मिल चुकी है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyPublished: Wed, 29 Mar 2023 07:49 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2023 07:49 AM (IST)
माफिया को मिट्टी में मिला देंगे! योगीराज में एक के बाद एक ढह गया मुख्तार और अतीक का किला
माफिया को मिट्टी में मिला देंगे! योगीराज में एक के बाद एक ढह गया मुख्तार और अतीक का किला

आलोक मिश्र, लखनऊ: पुलिस व अभियोजन की लगातार मजबूत होती पैरवी का नतीजा एक बार फिर सामने हैं। माफिया मुख्तार अंसारी को चार दशक बाद 21 सितंबर, 2022 को पहली बार सजा सुनाई गई थी। मामला था वर्ष 2003 में लखनऊ जेल में जेलर को धमकाने का। इसके बाद मुख्तार को दो अन्य मामलों में सजा सुनाई गई है।

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हत्या समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज

कुछ ऐसा ही हश्र माफिया अतीक का भी हुआ है। चार दशक से अधिक समय तक दहशत का दूसरा नाम बने अतीक की सजा ने दूसरे कुख्यातों को भी सीधा संदेश दिया है। मुख्तार के बाद अब अतीक अहमद भी कभी चुनाव लड़कर बाहुबल के बलबूते माननीय नहीं बन सकेगा। इसके साथ ही अतीक के विरुद्ध हत्या समेत अन्य संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमों में अभियान के तहत अभियोजन के कदम बढ़ रहे हैं।

‘सुप्रीम’ मुहर के बाद पहली बार कसा कानून का शिकंजा

मजबूत पैरवी के बलबूते हत्या की संगीन घटनाओं में उसे फांसी की सजा भी सुनिश्चित कराई जा सकती है। उमेश पाल के अपहरण के मामले में अतीक ने अभियोजन पक्ष के दो गवाहों का फिर से बयान कराने का रास्ता खोल लिया था।

17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उसके वकील की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट, प्रयागराज के 18 दिसंबर, 2022 को दिए गए उस आदेश को निरस्त कर दिया था, जिसमें अभियोजन पक्ष के दो गवाहों के फिर से बयान कराए जाने की अनुमति दी गई थी।

कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय को छह सप्ताह के भीतर विचारण पूर्ण करने का आदेश दिया था। इसके बाद ही अतीक अहमद व उसके सहयोगियों का काउंटडाउन आरंभ हो गया था। मंगलवार को आखिरकार वह दिन आ गया, जब अतीक का नाम सजायाफ्ता मुल्जिमों में शामिल हो चुका है।

49 मामले विचाराधीन

चार दशक से आतंक का पर्याय रहे माफिया अतीक अहमद की दहशत इतनी थी कि कोर्ट में उसके विरुद्ध सरकारी गवाह तक खड़े नहीं हो पाते थे। यही वजह है कि कुल 101 मुकदमे दर्ज होने के बाद अब तक उसे एक भी मामले में सजा नहीं हो सकी थी। अतीक के विरुद्ध वर्तमान में कोर्ट में 49 मुकदमे विचाराधीन हैं। इनमें 10 ऐसे मामले भी जिनमें अभी आरोप तय होना शेष है। अतीक के विरुद्ध दर्ज हत्या के 15 मुकदमों में वह छह में दोषमुक्त हो चुका है।

एक वर्ष में यह माफिया हुए सजायाफ्ता

अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, ध्रुव सिंह उर्फ कुन्टू सिंह, योगेश भदौड़ा, अमित कसाना, एजाज, अजीत उर्फ हप्पू, आकाश जाट, अनिल दुजाना, मुलायम यादव, राजू मुहम्मद उर्फ चौधरी, सलीम, सोहराब व रुस्मत।


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