Move to Jagran APP

Atique Ahmed: तांगे वाले के बेटे पर 1979 में पहला मुकदमा, आज हो सकती है पहली सजा; अब तक 101 मुकदमे दर्ज

Atiq Ahmed LIVE Updates उमेश पाल हत्याकांड की आज मंगलवार को सुनवाई होनी है। प्रयागराज पुलिस सोमवार को अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज जेल ले आयी है। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyPublished: Tue, 28 Mar 2023 08:13 AM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 08:13 AM (IST)
Atique Ahmed: तांगे वाले के बेटे पर 1979 में पहला मुकदमा, आज हो सकती है पहली सजा; अब तक 101 मुकदमे दर्ज
तांगे वाले के बेटे पर 1979 में पहला मुकदमा, आज हो सकती है पहली सजा

ताराचंद्र गुप्ता, प्रयागराज: माफिया अतीक मतलब आतंक का चेहरा। अपराध के बल पर न सिर्फ उसने रियल एस्टेट से लेकर कई कारोबार में हाथ डाला बल्कि दहशत पैदा करके माननीय भी बन गया था। चकिया निवासी तांगे वाले स्व. हाजी फिरोज अहमद के बेटे अतीक के खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1979 में लिखा गया था। खुल्दाबाद थाने में पहला मुकदमा हत्या के आरोप में दर्ज हुआ था, जिसका क्राइम नंबर 401 है।

loksabha election banner

42 साल में 101 मुकदमे

इसके बाद अतीक ने जरायम की दुनिया में कदम बढ़ाते हुए हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, अपहरण, बलवा जैसे तमाम जघन्य अपराध को अंजाम दिया। पिछले 42 साल में उसके विरुद्ध विभिन्न थानों में 101 मुकदमा लिखे जा चुके हैं, मगर किसी में उसे सजा नहीं हो पाई है। अब चार दशक बाद मंगलवार को पहली बार माफिया अतीक को सजा मिल सकती है।

अशरफ को मिल सकती है पहली बार सजा

इसी तरह खालिद अजीम उर्फ अशरफ को भी पहली दफा सजा मिल सकती है। उसके विरुद्ध भी अलग-अलग थानों में 52 मुकदमे दर्ज हैं। बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल का 28 फरवरी 2006 को दिनदहाड़े फांसी इमली सुलेम सरांय के पास से अपहरण कर लिया गया था।

उमेश पाल ने दर्ज कराया था मुकदमा

हथियारों से लैस कार सवार लोगों ने उमेश पाल को कार से अगवा करने के बाद अतीक के कार्यालय ले गए और रात पर पिटाई करने के बाद अगले दिन कोर्ट में माफिया के पक्ष में गवाही दिलवा दी थी। उस वक्त उमेश पाल जिला पंचायत सदस्य था। घटना के बाद पांच जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, दिनेश पासी, अंसार और सौलत हनीफ के खिलाफ मुकदमा कायम किया था।

अपहरणकांड के 17 साल बाद इस मुकदमे में निर्णय आएगा, जिसको लेकर सरगर्मी तेज है। जानकारों का कहना है कि अस्सी के दशक में खूनी खेल खेलने का सिलसिला अतीक ने शुरू किया तो कई साल तक चला। इस दौरान उसने संगठित रूप से गिरोह तैयार करके अपराध कारित करने लगा।

पुलिस ने अतीक के करीबियों की फेहरिस्त तैयार करते हुए गैंग चार्ट बनाया और उसका नाम दिया गया इंटर स्टेट-227। इस गैंग में सदस्यों के नाम समय-समय पर घटते-बढ़ते रहे हैं। अब माफिया की 28 मार्च को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.