संगम में 22 को प्रवाहित होगी अटल की अस्थियां
दुनिया भर में अपनी राजनैतिक ओज का डंका बजाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थियों का संगम में 22 अगस्त को विसर्जन किया। कलश यात्रा लेकर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य 21 अगस्त को आएंगे।
जासं, इलाहाबाद : दुनिया भर में अपनी राजनैतिक ओज का डंका बजाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व.अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश 22 अगस्त को पतितपावनी गंगा, श्यामल यमुना व अदृश्य सरस्वती के संगम में विसर्जित किया जाएगा। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व प्रदेश सरकार के कई मंत्री विशेष वाहन से अस्थि कलश लेकर 21 अगस्त की शाम इलाहाबाद पहुंचेंगे। रात में सर्किट हाउस में अस्थि कलश रखा जाएगा।
भारतीय राजनीति के पुरोधा स्व.अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन कार्यक्रम को लेकर रविवार को भाजपा पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक सिविल लाइंस स्थित एक होटल में हुई। अध्यक्षता करते हुए महानगर अध्यक्ष अवधेश गुप्ता ने कहा कि अटल जी राजनीति के भीष्म पितामह थे। उनका अस्थि विसर्जन पूरे उच्च स्तरीय सम्मान के साथ पतित पावनी मा गंगा एवं यमुना की पुण्य धारा के मिलन स्थल संगम में प्रवाहित होगी। उन्होंने बताया कि 21 अगस्त को दिन में सजे हुए रथ में अटल जी का अस्थि कलश लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या सहित उत्तर प्रदेश सरकार के अन्य मंत्री एवं भाजपा संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी तथा उनके परिजन इलाहाबाद आएंगे। मीडिया प्रभारी पवन श्रीवास्तव ने बताया कि नगर में 'अटल जी तुम्हें प्रणाम, याद करेंगे सुबह शाम' व श्रद्धाजलि के बैनर लगेंगे। 21 अगस्त को यात्रा विभिन्न मार्गो से होते हुए सर्किट हाउस में पहुंचेगी। 22 अगस्त को सुबह नौ बजे सर्किट हाउस से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गो से होते हुए यात्रा संगम पहुंचेगी।
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इन मार्गो से लाया जाएगा अस्थि कलश
पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी का अस्थि कलश 21 अगस्त की शाम शांतिपुरम फाफामऊ, फाफामऊ बाजार, तेलियरगंज, चैथम लाइन, मन्नीलाल चौराहा, लक्ष्मी टाकीज चौराहा, कटरा नेतराम चौराहा, मनमोहन पार्क चौराहा, ट्रैफिक चौराहा, राजापुर म्योर रोड चौराहा, हनुमान मंदिर चौराहा, आशा हास्पिटल होते हुए सर्किट हाउस ले जाया जाएगा।
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इन मार्गो से पहुंचेगा संगम
सर्किट हाउस से हाईकोर्ट, सिविल लाइंस सुभाष चौराहा, बस अड्डा चौराहा, हनुमान मंदिर चौराहा, बिजली घर चौराहा, जानसेनगंज चौराहा, चमेली बाई धर्मशाला, मोती महल, सब्जी मंडी, चंद्रलोक, रामबाग, बाई का बाग, सुंदरम गेस्ट हाउस, बैरहना चौराहा, हर्ष वर्धन चौराहा होते हुए अस्थि कलश संगम ले जाया जाएगा।
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चिंतन-मनन के पर्याय थे अटल जी
जासं, इलाहाबाद : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी चिंतन-मनन के पर्याय थे। वह यशस्वी साहित्यकार थे। उनका जितना विराट स्वरूप था, उतना ही महान व्यक्तित्व था। यह बातें प्रधानाचार्य डॉ.मुरारजी त्रिपाठी ने अलोपी बाग स्थित चंडी कार्यालय में रविवार को कही। यहां पं.देवीदत्त शुक्ल-पं.रमादत्त शुक्ल शोध संस्थान की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में गोष्ठी का आयोजन किया गया।
साहित्यकार डॉ. विजयानंद ने कहा कि यदि अटल जी साहित्य के ही क्षेत्र में रहते तो महाकवि के रूप में जाने जाते। ब्रजमोहन श्रीवास्तव ने 'मेरा तो विश्वास अटल' कविता के माध्यम से अटल जी का स्मरण किया। शिक्षाविद् डॉ. व्यासजी द्विवेदी ने कहा कि वह कथा कहानियां सुनाकर जनता को हंसाते तो थे ही संदेश मर्म भी देते थे। डॉ. राजीव श्रीवास्तव ने कहा कि अटल जी जैसे जननायक विरले ही होते हैं।
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पद चिह्रंों पर चलने का संकल्प
इलाहाबाद : भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित मोर्चा महानगर की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। श्रद्धांजलि का यह कार्यक्रम प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के सिविल लाइंस स्थित आवास पर आयोजित हुआ। इस दौरान श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मोर्चा के पदाधिकारियों ने स्व.वाजपेयी को अपना आदर्श मानते हुए उनके पद चिह्रों पर चलने का संकल्प लिया। राष्ट्रप्रेमी जन कल्याण समिति की ओर से भी भारत रत्न व पूर्व प्रधानमंत्री स्व.वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी गई। इसमें संयोजक राजकुमार जायसवाल ने कहा कि वह भारतीय राजनीति के महान विभूति थे।
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अटल बिहारी भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे
इलाहाबाद : पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के लिए श्रद्धांजलि सभा रविवार को सोहबतियाबाग में आयोजित की गई। साहित्यक संस्थाओं संस्था समन्वय और अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन के तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में स्व. अटल बिहारी के व्यक्ति्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया गया। मुख्य अतिथि साहित्यकार डा. यासमीन सुल्ताना नकवी ने कहा कि मेरे जापान स्थित ओसाका विश्वविद्यालय में अध्यापन काल में अटलजी की कविताओं को हिंदी के छात्रों को पढ़ाने का अवसर मिला। अध्यक्षता कर रहीं डा. कृष्णा मुखर्जी ने वाजपेयी जी को युग पुरुष बताया। संचालन करते हुए डॉ. संतोष जैन ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी भाषा ही नहीं भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण स्तंभ रहे। उनके संस्कारों को देश कभी भुला नहीं सकता।