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इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अभी भी प्रो. मेहता ही हैं चांसलर Prayagraj News

नए सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय को नया चांसलर मिल जाएगा। हालांकि इविवि की वेबसाइट पर अभी भी प्रो. मेहता ही चांसलर हैं। उनका कार्यकाल समाप्‍त हो चुका है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 01 Jan 2020 02:10 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jan 2020 02:10 PM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अभी भी प्रो. मेहता ही हैं चांसलर Prayagraj News
इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अभी भी प्रो. मेहता ही हैं चांसलर Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) को नए शैक्षणिक सत्र में नया चांसलर मिल जाएगा। हालांकि संस्थान की वेबसाइट और दस्तावेजों में अभी भी प्रोफेसर गोवर्धन मेहता का नाम ही चांसलर के रूप में दर्ज है। उनका कार्यकाल 12 जून 2017 को समाप्त हो चुका है। मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि प्रोफेसर मेहता ने कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। हालांकि उनका इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं हुआ है।

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राष्ट्रपति की मुहर लगते ही इविवि को चांसलर मिल जाएगा

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में नए चांसलर की नियुक्ति के लिए वर्ष 2017 में ही कार्य परिषद के सदस्यों ने बंद लिफाफे में अलग-अलग नाम प्रस्तावित किए थे। चांसलर पद के लिए देश के नामी वैज्ञानिक अथवा अन्य प्रबुद्ध व्यक्तियों में किसी का चयन किया जाता है। कुलपति ने सदस्यों की ओर से प्रस्तावित नामों में तीन नाम चुनने के बाद उसे केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजा। सूत्रों की मानें तो इविवि की ओर से प्रोफेसर केबी पांडेय और सिने स्टार अमिताभ बच्चन का नाम भेजा गया था। हालांकि, मंत्रालय ने इन सभी नामों को खारिज कर दिया है। जानकारों के दावों पर भरोसा करें तो मंत्रालय में बीएचयू और केजीएमयू लखनऊ के वाइस चांसलर रहे प्रो. हरि गौतम, उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री रहे डॉ. रवींद्र शुक्ल, जस्टिस सखाराम यादव और इसरो के चेयरमैन के कस्तूरीरंगन को चांसलर बनाए जाने की फाइल दौड़ रही हैं। जल्द ही मंत्रालय इन नामों को राष्ट्रपति के पास प्रस्ताव बनाकर भेजेगा। राष्ट्रपति की मुहर लगते ही इविवि को चांसलर मिल जाएगा।

प्रो. मेहता ने मंत्रालय को भेजा था इस्तीफा

बतौर इविवि के चांसलर प्रोफेसर गोवर्धन मेहता ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजे गए 14 अपने पेज के इस्तीफे में तमाम खामियां गिनाईं थीं। उनका यह भी कहना था वह इन्हीं वजहों से कभी इविवि नहीं गए। दैनिक जागरण से बातचीत में प्रोफेसर मेहता ने इतना ही कहा कि मेरा कार्यकाल काफी पहले खत्म हो चुका है। इसके अलावा उन्होंने अन्य कोई भी टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया।


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