यूपीएचईएससीः असिस्टेंट प्रोफेसरों की काउंसिलिंग पर अघोषित रोक
अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग पर अघोषित रूप से रोक लग गई है।
जेएनएन, प्रयागराज। अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए काउंसिलिंग पर अघोषित रूप से रोक लग गई है। उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय और शासन से भी विज्ञापन संख्या 37 व 46 के तहत उन चयनितों पर निर्णय नहीं हो सका है जो नियुक्ति पाने से महज एक कदम दूर हैं। उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से चयनितों की हुई मुलाकात के बाद भी काउंसिलिंग जल्द शुरू के संकेत नहीं मिले हैं।
विज्ञापन संख्या 46 के तहत उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानी यूपीएचईएससी से कुल 44 विषयों के निकले परिणाम में 41 विषयों के चयनितों को तो काउंसिलिंग के बाद विभिन्न महाविद्यालयों में नियुक्ति दी जा चुकी है लेकिन, शेष तीन विषय भौतिक, रसायन व प्राणि विज्ञान के करीब 300 अभ्यर्थियों की काउंसिलिंग 17 अक्टूबर को ऑनलाइन माध्यम से कराने के आदेश हो गए। इसके बाद विनय सिंह व अन्य की याचिका पर 14 नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट से सरकार के इस आदेश को रद किए जाने पर भी काउंसिलिंग पर अब तक निर्णय नहीं लिया जा सका है। इतना ही नहीं, विज्ञापन संख्या 37 के तहत जिन अभ्यर्थियों को 15 साल के बाद अपना परिणाम देखने को मिला था उनमें अशासकीय महाविद्यालयों में उपलब्ध रिक्तियों के हिसाब से चयनितों की सूची शार्टलिस्ट करने के बाद भी महज 17 लोगों की काउंसिलिंग हो सकी, इसके बाद करीब सवा सौ चयनित अपनी काउंसिलिंग का इंतजार कर रहे हैं।
एक ही भर्ती के चयनितों में भेदभाव
याची विनय सिंह के अनुसार पिछले दिनों चयनित, उप मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा से मिले तो काउंसिलिंग पर उनकी ओर से बेरुखी नजर आई। इससे काउंसिलिंग जल्द शुरू होने के आसार नहीं हैं। इस मामले में निदेशालय यह स्पष्ट करने को तैयार नहीं है कि काउंसिलिंग पर लगी रोक कब हटेगी। उप्र उच्च शिक्षा निदेशालय ने भर्तियों के नियम बीच में बदलकर मनमाना कदम ही नहीं उठाया है बल्कि, इससे एक ही भर्ती के चयनितों के बीच भेदभाव भी कर दिया है। क्योंकि विज्ञापन संख्या 37 और 46 के ही अन्य विषयों के चयनित अशासकीय महाविद्यालयों ठाठ से नौकरी कर रहे हैं जबकि सवा चार सौ चयनित अब भी नौकरी मांग रहे हैं।