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11.60 लाख अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में अपात्र, प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकेंगे शामिल

Fake Degrees प्रदेश में बीएड डीएलएड और बीटीसी जैसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कराने वाले कालेजों की शैक्षिक गतिविधियों पर सवाल उठते रहे हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 04:58 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 04:58 PM (IST)
11.60 लाख अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में अपात्र, प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकेंगे शामिल
11.60 लाख अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती में अपात्र, प्राथमिक शिक्षक भर्ती में नहीं हो सकेंगे शामिल

प्रयागराज [धर्मेश अवस्थी]। डिग्री व डिप्लोमा हासिल करने वाले 11.60 लाख अभ्यर्थी प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अपात्र हो गए हैं। इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती की पहली सीढ़ी (पात्रता परीक्षा) नहीं चढ़ सके हैं। अब यह अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में आवेदन भी नहीं कर सकेंगे। इसमें आश्चर्यजनक यह है कि फेल होने वालों में कई शिक्षक और शिक्षामित्र भी हैं, जो वर्षों से स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।

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प्रदेश में बीएड, डीएलएड और बीटीसी जैसे प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कराने वाले कालेजों की शैक्षिक गतिविधियों पर सवाल उठते रहे हैं। मसलन, नियमित कक्षाएं नहीं चलती, प्रशिक्षु कालेज न आकर कागज पर हाजिर दिखते हैं और निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए शिक्षक अभिलेखों तक सीमित हैं। उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (यूपीटीईटी) 2019 के परिणाम ने अब एक तरह से अभ्यर्थियों की तैयारी दुरुस्त न होने पर मुहर लगा दी है।

इस परीक्षा में बीएड, डीएलएड व बीटीसी आदि प्रशिक्षण करने वाले ही शामिल होते हैं। सिर्फ एनआइओएस से डीएलएड करने वालों को छोड़कर यूपीटीईटी में सभी की उत्तर पुस्तिकाएं जांची गईं थी। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने एनआइओएस के डीएलएड को मान्य नहीं किया है।

यूपीटीईटी में दो स्तर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक के लिए 16,56,338 अभ्यर्थी पंजीकृत हुए थे, उनमें से 1,41,622 ने परीक्षा से ही किनारा कर लिया था। दोनों परीक्षाओं में 15,14,716 अभ्यर्थी शामिल हुए, जबकि पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले सिर्फ 3,54,703 ही हैं। 11.60 लाख से अधिक अपात्र हो गए हैं। खास बात यह है कि यूपीटीईटी के परिणाम के साथ ही परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने डीएलएड 2017 चतुर्थ सेमेस्टर व अन्य रिजल्ट घोषित किए, उन प्रशिक्षण कोर्स में भी बड़ी संख्या में अभ्यर्थी अनुत्तीर्ण हुए हैं। इतना ही नहीं बैक पेपर यानी दोबारा परीक्षा में भी फेल होने वालों की अच्छी खासी संख्या है। यूपीटीईटी प्रदेश में 2011 से हो रही है लेकिन, अब तक रिजल्ट 50 प्रतिशत से अधिक नहीं गया है। कई बार प्राथमिक का परिणाम 30 प्रतिशत के इर्द-गिर्द और उच्च प्राथमिक का इससे से कम रहता आया है।

सरकार शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मियों की भर्ती के लिए नया आयोग का गठन कर रही है, उससे निकलने वाली भर्ती में अपात्र आवेदन नहीं कर सकेंगे। वहीं, अशासकीय सहायताप्राप्त जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक भर्ती में भी उच्च प्राथमिक स्तर की परीक्षा पास न होने वाले प्रतिभाग नहीं कर सकेंगे।

यूपीटीईटी की नकलविहीन परीक्षा

सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी उप्र, अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि परीक्षा नियामक कार्यालय डीएलएड व बीटीसी की परीक्षाएं पारदर्शी तरीके से राजकीय व सहायताप्राप्त कालेजों में करा रहा है, यूपीटीईटी तय मानक पर नकलविहीन कराई जा रही है। कालेजों को बेहतर पढ़ाई करानी होगी, तभी रिजल्ट में सुधार होगा। 


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