शंकर विमान मंडपम् व बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर का निर्माण वैध, सेना की क्लीन चिट Prayagraj News
सेना ने अपनी जमीन की जांच शुरू कर दी। पैमाइश के दौरान पता चला कि बांध स्थित बड़े हनुमान मंदिर और शंकर विमान मंडपम् बी-2 लैड यानी कैंट बोर्ड की जमीन पर बने हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। संगम किनारे सेना की जमीन पर बने शंकर विमान मंडपम् और बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर का निर्माण वैध है। सेना इनको नहीं गिराएगा। इसके अलावा वहां पर हुए अन्य अवैध निर्माण को ढहा दिया जाएगा।
सेना की पैमाइश में पता चला कि सैकड़ों लोग अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं
परेड मैदान पर दशकों से हो रहे अवैध कब्जे के खिलाफ सेना ने पिछले दिनों कार्रवाई शुरू की तो कब्जेदारों में हड़कंप मच गया। कई लोगों ने विरोध किया। ऐसे में सेना ने अपनी जमीन की जांच शुरू कर दी। पैमाइश के दौरान पता चला कि सैकड़ों लोग अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं। इसी दौरान स्पष्ट हुआ कि बड़े हनुमान मंदिर और शंकर विमान मंडपम् बी-2 लैड यानी कैंट बोर्ड की जमीन पर बने हैं। कैंट बोर्ड के सीईओ अमित कुमार बाबुराव ने बताया कि दशकों पहले इन दोनों मंदिरों के लिए अनुमति ली गई थी। वहां पर यही दोनों निर्माण वैध हैं। इनके आसपास बनी दुकानें भी अवैध हैं। उन्होंने बताया कि इन दोनों मंदिरों को छोड़कर अन्य निर्माण को ढहाया जाएगा।
खाली कराई गई कहार गल्ला बस्ती
सेना के सप्लाई डिपो के पास कहार गल्ला बस्ती है। यहां पर कुछ जमीन कैंट बोर्ड की है। उसमें बस्ती बसी है। उसके अलावा अधिकतर जमीन ए-1 लैड यानि सेना की है। इस जमीन पर 2011 में एमईएस के ठेकेदार को स्टोर बनाने और लेबर को ठहराने के लिए अस्थाई जगह दी गई थी। ठेकेदार का प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद भी वहां पर लेबर रहते रहे। बाद में यहां पर लेबर के अलावा भी कई दूसरे लोग बस गए। सेना ने पिछले दिनों सर्वे किया और जमीन खाली कराने का अभियान शुरू किया। उसे पूरी तरह से खाली करा लिया गया है। सेना के अधिकारियों ने बताया ठेकेदार को गुरुद्वारा के पास अब लेबरों को ठहराने के लिए जगह दी गई है। उन्होंने बताया कि ठेकेदार का प्रोजेक्ट खत्म होने के बाद लेबर के ठहरने का स्थल खाली करना पड़ेगा। इस कार्रवाई के दौरान वहां टायलेट नहीं तोड़ा गया है। अगर आसपास कोई रह जाता है तो वह उसे इस्तेमाल कर सकता है।
अफसर लाइन के बाशिंदों को 26 तक अल्टीमेटम
कैंट के अंदर अफसर लाइन में दशकों से करीब डेढ़ सौ परिवार हैं। सेना ने सुरक्षा की दृष्टि से यहां से इनको हटाने का प्रयास किया तो ये लोग कोर्ट चले गए थे। कोर्ट में यह मामला 1970 से चल रहा था। साल भर पहले कोर्ट ने आदेश दिया कि पहले यहां रह रहे लोगों को जगह दी जाए, उसके बाद कब्जा हटवाया जाए। इस पर सेना ने इन परिवारों को पहले कहार गल्ला में बसाने की योजना बनाई। वहां उनको जमीन दिखाई लेकिन उन लोगों ने उसे लेने से इंकार कर दिया। बाद में उनको सदर बाजार में जगह दी गई।
अफसर लाइन में रह रहे लोगों ने किए अवैध निर्माण
वहां इन परिवार के लोग रहने को तैयार हैं लेकिन उस जमीन पर कइयों का अवैध कब्जा है। उस कब्जे को खाली कराके वहां पर अफसर लाइन के निवासियों को शिफ्ट किया जाएगा। दूसरी ओर अफसर लाइन में रह रहे लोगों ने कई अवैध निर्माण कर लिए हैं। इससे सेना की सिक्योरिटी में सेंध लग रही है। इसलिए सेना ने यहां के निवासियों को नोटिस दिया गया है, कहा है कि यहां जो भी अवैध निर्माण है, उसे तोड़ दें। जब तक उनको दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जा रहा है। तब तक वह अपने निर्धारित स्थल पर रहें। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर के बाद अवैध कब्जा तोड़ दिया जाएगा।