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Coronavirus Effect : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति का चयन भी अधर में लटका Prayagraj News

कोरोना वायरस के चलते इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फिलहाल बैठक के कोई आसार नहीं हैं। कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Mar 2020 09:42 AM (IST)Updated: Wed, 25 Mar 2020 09:42 AM (IST)
Coronavirus Effect : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति का चयन भी अधर में लटका Prayagraj News
Coronavirus Effect : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थायी कुलपति का चयन भी अधर में लटका Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में स्थायी कुलपति का चयन भी फंस गया है। अब संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने के बाद नए सत्र में ही कुलपति की नियुक्ति हो सकेगी। इसके बाद कार्य परिषद की बैठक में सर्च कमेटी के दो सदस्यों पर मुहर लगेगी।

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कुलपति पद के आवेदन की अंतिम तिथि 21 फरवरी थी

दरअसल, पूर्व कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू के इस्तीफे के बाद कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। आवेदन की अंतिम तिथि 21 फरवरी तय की गई। इस बीच देश भर से कुल 125 शिक्षाविदों ने आवेदन भी किए। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दबाव पर इविवि ने छह मार्च को कार्य परिषद की आपात बैठक बुलाई। बैठक में नेशनल सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस एनालिसिस पुणे के पूर्व निदेशक प्रोफेसर गौतम सेन और वर्ष 1998 से 2001 तक इविवि के कुलपति रह चुके प्रो. सीएल खेत्रपाल के नाम पर मुहर लगी। प्रो. खेत्रपाल को कमेटी में शामिल किए जाने पर बैठक के दौरान ही कार्य परिषद के सदस्यों में सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विरोध भी तेज हो गया।

कोरोना वायरस के चलते फिलहाल बैठक के कोई आसार नहीं हैं

इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रो. राम किशोर शास्त्री ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा। इस पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से निर्देश दिया गया कि 16 मार्च को होने वानी कार्य परिषद की बैठक में नए सिरे से दो सदस्यों के नाम दोबारा तय किए जाएं। हालांकि, कोरोना वायरस के चलते अब फिलहाल बैठक के कोई आसार नहीं हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कोरोना वायरस का संक्रमण पूरी तरह से खत्म होने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। साथ ही नए सत्र में ही अब इविवि को स्थायी कुलपति मिल सकेगा।


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