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इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में नाराज छात्रों ने कुलपति कार्यालय पर जड़ा ताला Prayagraj News

अभ्यर्थियों का आरोप है कि जब वह प्रवेश के संदर्भ में कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया। इस पर अभ्यर्थियों का गुस्सा फूट पड़ा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 05:34 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 05:34 PM (IST)
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में नाराज छात्रों ने कुलपति कार्यालय पर जड़ा ताला Prayagraj News
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में नाराज छात्रों ने कुलपति कार्यालय पर जड़ा ताला Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में वाणिज्य संकाय की संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट-2019) में अब तक प्रवेश न मिलने से नाराज अभ्यर्थियों के सब्र का बांध  टूट गया। कार्यवाहक कुलपति से मिलने पहुंचे अभ्यर्थियों को जब मिलने से रोका गया तो वह धरने पर बैठ गए। घंटों नारेबाजी करने के बाद उन्होंने कुलपति कार्यालय पर ताला जड़ दिया।

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पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण न करने से नाराज हैं छात्र

चयनित अभ्यर्थियों ने बताया कि वाणिज्य विभाग के पीएचडी प्रवेश परिणाम में धांधली की शिकायत मिलने पर कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने 31 जनवरी 2020 को परिणाम निरस्त कर दोबारा साक्षात्कार कराने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ चयनित अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। वहां से चार मार्च को विश्वविद्यालय को मेरिट या पार्शियल मेरिट के आधार पर शीघ्र प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया गया। छात्रों के प्रवेश संबंधी सभी औपचारिकताएं 22 जनवरी तक पूरी हो गईं, लेकिन कार्यवाहक कुलपति की ओर से जानकर अनुमोदन नहीं किया जा रहा है।

कुलपति के मिलने से इंकार पर गुस्‍साए छात्र धरने पर बैठे

अभ्यर्थियों का आरोप है कि जब वह प्रवेश के संदर्भ में कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी से मिलने पहुंचे तो उन्होंने मिलने से मना कर दिया। इस पर अभ्यर्थियों का गुस्सा फूट पड़ा। सभी वहां धरने पर बैठ गए और कुलपति कार्यालय में ताला जड़कर नारेबाजी करने लगे। अभ्यर्थियों ने मामले की शिकायत केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को पत्र भेजकर की है। वहीं, धांधली का आरोप लगाने वालों ने कार्यवाहक कुलपति से मिलकर ज्ञापन सौंपा। चेतावनी दी कि यदि सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया तो वह आमरण अनशन पर बैठेंगे।


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