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सड़कों पर दिखा सवर्णो का गुस्सा

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : केंद्र सरकार के एससी/एसटी एक्ट अध्यादेश के खिलाफ गुरुवार को सवर्णो का गुस्सा सड़कों पर नजर आया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 03:33 PM (IST)Updated: Fri, 07 Sep 2018 03:33 PM (IST)
सड़कों पर दिखा सवर्णो का गुस्सा
सड़कों पर दिखा सवर्णो का गुस्सा

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : केंद्र सरकार के एससी/एसटी एक्ट अध्यादेश के खिलाफ गुरुवार को सवर्णो का गुस्सा सड़कों पर नजर आया। हर प्रमुख चौराहों पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा रहा। अधिवक्ता, तीर्थपुरोहित, छात्र व सामाजिक संगठनों के लोग सड़क पर उतरे। सिविल लाइंस, कटरा, कोठापारचा, चौक में अधिकतर दुकानें बंद रहीं। जुलूस निकालकर नारेबाजी करते हुए केंद्र सरकार के निर्णय पर कड़ा विरोध दर्ज कराया। प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन रोककर गुस्से का इजहार किया।

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केंद्र सरकार के एससी/एसटी एक्ट अध्यादेश के खिलाफ सर्वण व पिछड़ी जाति के संगठनों ने गुरुवार को भारत बंद का आह्वान किया था। इलाहाबाद में उसका सुबह से असर दिखने लगा। सिविल लाइंस, चौक, घंटाघर व कटरा की अधिकतर दुकानें बंद रहीं। कुछ दुकानें खुली तो प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकालकर दोपहर में उसे बंद करा दिया। दोपहर एक बजे तक सड़कों पर सन्नाटा रहा। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष मनेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रयाग स्टेशन पर ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया। दोपहर तीन बजे प्रयाग स्टेशन पहुंचे, जहां लखनऊ जाने वाली इंटरसिटी व एक मालगाड़ी को रोककर नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारी साढ़े तीन बजे तक ट्रेन के आगे खड़े रहे, उन्हें हटाने के लिए आरपीएफ व जीआरपी के जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। किसी तरह प्रदर्शनकारियों को हटाकर ट्रेन को रवाना कराया। वहीं नवयुवक ब्राह्माण समाज प्रयाग के बैनर तले सुभाष चौराहा पर धरना देकर एससी/एसटी एक्ट का विरोध किया गया। वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार देश में जातिवादी नीति खत्म करके आरक्षण आर्थिक आधार पर दें। प्रदर्शन में लवकेश मिश्र, गौतम मिश्र, सुनील पांडेय, सूर्यमणि, संजय, पंकज, ममता पांडेय शामिल रहे। राष्ट्रीय परशुराम सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल तिवारी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन हुआ। इसमें प्रभाकर पांडेय, अंकित दुबे, सचिन मिश्र शामिल रहे। सपा नेता विजय वैश्य ने भी भारत बंद का समर्थन किया। -------

भाजपा सरकार का किया विरोध

श्री कान्यकुब्ज ब्राह्माण सभा प्रयाग ने एससी/एसटी एक्ट का विरोध किया। सुभाष चौराहे पर सभा करके सरकार की नीतियों का विरोध किया। संयोजक दिवाकर नाथ त्रिपाठी ने कहा कि उक्त अधिनियम समाज को दो भागों में बांटने का कार्य किया है। केंद्र सरकार को इस अधिनियम को तत्काल वापस लेना चाहिए। आनंद प्रकाश दीक्षित ने कहा कि मोदी सरकार ने नया अधिनियम लाकर ¨हदुओं को बांट दिया है, जिससे समाज को काफी नुकसान होगा। इससे दलित वर्ग उपेक्षित हो जाएंगे। अध्यक्षता कर रहे गिरिजा शकर मिश्र ने कहा कि उक्त काले कानून को तत्काल सरकार को वापस लेना चाहिए। प्रदर्शन में सुधीर द्विवेदी, शैलेंद्र अवस्थी, विजय तिवारी, ईश्वरचंद शुक्ल, नीरज दीक्षित, सचिन तिवारी, राजाराम शुक्ल शामिल रहे। वहीं विश्व बंधुत्व ब्राह्माण महासभा के बैनर तले एससी/एसटी एक्ट का मुखर विरोध हुआ। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्याम सूरत पांडेय के नेतृत्व में कटरा, सिविल लाइंस में रैली निकालकर केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकार की नीतियों का विरोध किया गया। श्याम सूरत ने कहा कि भाजपा सत्ता के मद में चूर होकर लगातार गलत फैसले कर रही है। मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करके समाज को बांटने की नीति पर काम कर रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रैली में फूलचंद्र दुबे, सत्य प्रकाश पांडेय, शशिकांत, धीरज मिश्र, विजय तिवारी, विवेक मिश्र, आयुष मिश्र, बब्बू दुबे, सुरेंद्र नारायण, मनीष पांडेय, राहुल दुबे, बच्चा पांडेय शामिल रहे। --------------

तीर्थ-पुरोहितों ने किया बुद्धि शुद्धि यज्ञ

एससी/एसटी एक्ट के विरोध में अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के पदाधिकारियों ने संगम क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। मंत्रोच्चार के बीच यज्ञकुंड में में आहुतियां डालकर सरकार से निर्णय वापस लेने की मांग की गई। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव चंद्रनाथ चकहा 'मधु' ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लागू एससी/एसटी एक्ट और आरक्षण व्यवस्था सवर्ण समाज के साथ अन्याय है। श्रवण शर्मा ने कहा कि मोदी सरकार ¨हदुओं को बांटने के लिए अनर्गल कदम उठा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। माधवानंद शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार समय रहते अपने फैसले पर विचार नहीं करेगी तो इसका व्यापक विरोध किया जाएगा। प्रवक्ता अमित राज वैद्य ने कहा कि जिन सवर्णो ने भाजपा की सरकार बनाने के लिए वोट दिया आज उसी के साथ अन्याय किया जा रहा है। विवेकानंद शर्मा, रामानंद शर्मा, लाल वीरेंद्र शर्मा, ऋषि शर्मा, दिवाकर चकहा, राहुल तिवारी, अवधेश, मनोज शर्मा मौजूद रहे।

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वकीलों ने किया एससीएसटी एक्ट में संशोधन का विरोध

इलाहाबाद : एससीएसटी एक्ट में हुए संशोधन के विरोध में गुरुवार को कचहरी के तमाम वकील भी सड़क पर उतर आए। विकास भवन के सामने प्रदर्शन करने के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायामूर्ति, मुख्यमंत्री के नाम से संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष उमाशंकर तिवारी, मंत्री कृष्ण चंद्र मिश्रा, मनोज सिंह, पूर्व अध्यक्ष राकेश तिवारी, शीतला प्रसाद, हरिसागर, अनिल, विद्याभूषण आदि रहे।

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एससी-एसटी एक्ट पर सबकी अपनी-अपनी राय

भारत बंद को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया इलाहाबाद: एससी-एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंदी को लेकर ढेरों सवाल हर किसी की जुबां पर थे। उसी में एक प्रमुख सवाल था कि यह बंद कितना जायज? इसी को लेकर दैनिक जागरण ने एससी-एसटी एक्ट के समर्थक और विरोधियों से दो टूक बात की। दोनों पक्षों के अलग-अलग मत सामने आए। आइए जानते हैं कि किसने क्या कहा:-

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लोकतंत्र में असहमति जायज है, लेकिन एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग की आशंका मात्र से भारत बंद बिल्कुल गलत है। संसदीय प्रणाली में सभी को आस्था रखनी चाहिए। वैसे भी दलित समाज के लोग आज भी थाने जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, भला वह झूठी रिपोर्ट कैसे लिखवा सकते हैं, वह भी तब, जब झूठा केस दर्ज कराने पर दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

-अजय प्रकाश सरोज, शोध छात्र

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एससी-एसटी एक्ट के विरोध की जो बात उठी है वो बिल्कुल जायज कारणों से है। नए एससी-एसटी एक्ट में गलत आरोप लगाकर प्रताड़ित किए जाने की संभावना है। ज्यादातर मामले किसी अन्य सक्षम सवर्णो के उकसाए हुए होते हैं। जमानत के लिए कठोर प्रतिबंध, प्रारंभिक जांच को भी आवश्यक न समझना सही नहीं है। गिरफ्तारी पुलिस के स्वविवेक पर होने का मतलब मजिस्ट्रेट से संबंधित व्यक्ति के राय की उपेक्षा है। यह नहीं होना चाहिए।

-अवध नारायन द्विवेदी, शोध छात्र

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एससी-एसटी एक्ट में सरकार द्वारा लिया गया निर्णय सर्वथा गलत है। जब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक्ट का मिसयूज हो सकता है। कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने के बाद आरोपी की तत्काल गिरफ्तारी नहीं होगी। इसके पहले आरोपों की डीएसपी स्तर के अधिकारी जांच करेंगे। यदि आरोप सही पाए जाते, तभी आगे की कार्यवाही होगी। मुझे नहीं लगता कि सरकार को इसमें कोई हस्तक्षेप करने की जरूरत थी।

-शैलेश कुमार त्रिपाठी, कर्मचारी

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एससी-एसटी एक्ट लाने की सरकार को इतनी भी क्या जल्दी थी। सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था में कहां आरोपी छूटे जा रहे थे? जांच के बाद कार्रवाई की तो व्यवस्था थी ही, लेकिन सरकार ने देश में गरीबी, बेरोजगारी, आंतरिक सुरक्षा जैसे मुद्दों को दरकिनार कर सियासी नजरिए से यह फैसला कर दिया। यह तो वर्ष 2019 के चुनाव में ही सरकार को पता चलेगा कि उसका यह सियासी दांव कितना फिट बैठा।

-मानवेंद्र तिवारी, शोध छात्र

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सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता रहा आरक्षण मुद्दा

इलाहाबाद : भारत बंद के दौरान गुरुवार को सोशल मीडिया पर भी आरक्षण का मुद्दा छाया रहा। फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर आरक्षण को लेकर बहस होती रही। एससीएसटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ जहां सामान्य वर्ग के लोग विरोध में बात करते हुए संदेश, फोटो और वीडियो अपलोड कर रहे थे। वहीं एससीएसटी के समर्थक अपनी बात कहते हुए शोषण समेत अन्य कई तरह की दलील देते रहे। हालांकि इस बहस में किसी पार्टी के कार्यकर्ताओं की खास सक्रियता नजर नहीं आई।


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