महिलाओं के अनुकूल था प्राचीन भारतीय चिंतन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू ने भारतीय ज्ञान परंपरा के मौलिक एवं व्यवहारिक पक्षों को फिर से उदघाटित करने पर बल दिया।
जासं, इलाहाबाद : प्राचीन भारतीय चिंतन महिलाओं के अनुकूल था। महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्राप्त थे। प्राचीन भारतीय दर्शन के अध्ययन के साथ अन्य पक्षों पर भरतीय दृष्टिकोण के अध्ययन की जरूरत है। यह बातें मंगलवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए आइआइएएसए शिमला की पूर्व चेयरमैन प्रो. चंद्रकला पाडिया ने कहीं। वे विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं गांधी विचार एवं शांति अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष सेमिनार को संबोधित कर रही थीं।
इविवि के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू ने भारतीय ज्ञान परंपरा के मौलिक एवं व्यवहारिक पक्षों को फिर से उद्घाटित व्यवहारिक पक्षों को फिर से उद्घाटित करने पर बल दिया। संचालन प्रो. एचके शर्मा व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अनुराधा अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला, वित्त अधिकारी सुनील कांत मिश्र, चीफ प्रॉक्टर प्रो. राम सेवक दुबे व डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार, प्रो. स्मिता अग्रवाल, प्रो. आरके सिंह आदि मौजूद रहे। महात्मा गांधी के आदर्श आज भी प्रासंगिक
जासं, इलाहाबाद : एसएस खन्ना महिला महाविद्यालय में मंगलवार को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। मध्यकालीन इतिहास विभाग में आयोजित सेमिनार का विषय महात्मा गांधी और जन आदोलन रखा गया था। मुख्य अतिथि प्रो. रंजना कक्कड़ ने कहा कि महात्मा गांधी के आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। इसके बाद सभी वर्गो को साथ लाकर अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ जन आदोलन में सफलता हासिल की। मुख्य अतिथि का स्वागत उप प्राचार्या डॉ. अल्पना अग्रवाल व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शिव शकर श्रीवास्तव ने किया। संचालन डा. विनीता मिश्रा ने किया। डॉ. आशा उपाध्याय, डॉ. रचना आनंद गौड़, डॉ. मीनू अग्रवाल, डॉ. नीरजा सचदेव, डॉ. मंजरी शुक्ला, डॉ. रीतू जायसवाल, डॉ. ज्योति कपूर, डॉ. निशी सेठ, डॉ. श्रद्धा राय, प्रियंका गुप्ता, डॉ. मनोज निरंजन, डॉ. शुलभ श्रीवास्तव व छात्राएं उपस्थित थीं।