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ठाट-बाट से निकली आनंद अखाड़ा की पेशवाई, संत-महात्माओं का निराला शाही अंदाज

तपोनिधि आनंद अखाड़ा की पेशवाई ठाट-बाट से निकाली गई। साधु-संतों के साथ नागा संन्यासियों की इसमें शोभा निराली थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 04 Jan 2019 07:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Jan 2019 07:41 PM (IST)
ठाट-बाट से निकली आनंद अखाड़ा की पेशवाई, संत-महात्माओं का निराला शाही अंदाज
ठाट-बाट से निकली आनंद अखाड़ा की पेशवाई, संत-महात्माओं का निराला शाही अंदाज

प्रयागराज, जेएनएन। तपोनिधि आनंद अखाड़ा के साधु-संतों ने शुक्रवार को पेशवाई निकालकर कुंभ मेला में प्रवेश किया। बाघंबरी गद्दी स्थित आनंद अखाड़े से शुरू हुई पेशवाई में हाथी, ऊंट, घोड़े पर सवार नागा संन्यासी, संत-महात्मा शाही अंदाज में निकले। अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज के नेतृत्व में निकली पेशवाई में सबसे आगे ध्वज एवं आराध्य सूर्य भगवान की पालकी निकली। उनके पीछे पूर्ण सजधज के साथ आकर्षक चौकियों में सवार होकर संत-महात्मा निकले।

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नागा संन्यासी आकर्षण का रहे केंद्र

आनंद अखाड़े की पेशवाई में प्रयागराज समेत नासिक, सहारनपुर, हापुड़ के बैंडबाजे शामिल हुए तो फूलों से सजे रथों पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत स्वामी नरेंद्र गिरि, आनंद अखाड़ा के अध्यक्ष रवींद्रपुरी, महामंडलेश्वर मंदाकिनीपुरी समेत अन्य महंत व पदाधिकारी आसीन थे। पेशवाई के दौरान भाला, त्रिशूल लिए घोड़ों पर सवार नागा संन्यासी हर किसी के आकर्षण का केंद्र रहे। शरीर पर भभूत और फूलों का श्रंृगार किए पैदल चलते नागा संन्यासी भाले और त्रिशूल के साथ नाचते-करतब दिखाते आगे बढ़े। नगाड़े और हर-हर महादेव के जयघोष से माहौल भक्तिमय रहा।

वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पालकी स्थापित

आनंद अखाड़ा की पेशवाई अल्लापुर मटियारा रोड, अलोपशंकरी मंदिर, दारागंज, मोरी मार्ग, शास्त्रीपुल के नीचे से होकर काली सड़क सेक्टर 16 स्थित अखाड़ा की छावनी (शिविर) में पहुंची। यहां वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच आराध्य की पालकी को स्थापित किया गया। छावनी में आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि महाराज ने 1.51 लाख रुपये से पुकार कराई। उनके साथ महामंडलेश्वर मंदाकिनीपुरी, मंडलेश्वर, श्री महंत, महंतों ने भी अपनी श्रद्धा और क्षमता के हिसाब से पुकार कराई।

आकर्षण का केंद्र रहे करतब

भाला, त्रिशूल, फरसा आदि लिए नागा संन्यासियों के करतब देखकर लोग आश्चर्यचकित रहे। आनंद अखाड़ा की पेशवाई के दौरान नागा संन्यासियों ने जगह-जगह रुककर लाठी और तलवारों से भी करतब दिखाए।

मार्गों के दोनों ओर फूलों की वर्षा हुई

बाघंबरी गद्दी से शुरू हुई पेशवाई अल्लापुर सब्जी मंडी से मटियारा रोड की ओर बढ़ी तो सड़क के दोनों ओर लोगों की भीड़ ने फूल बरसाकर संत-महात्माओं का स्वागत किया। घरों की बालकनी से पेशवाई देख रहीं महिलाओं और बच्चे पुष्पवर्षा करने के लिए इंतजार करते रहे।

 पेशवाई की ड्रोन कैमरे से निगरानी
आनंद अखाड़ा की पेशवाई की ड्रोन कैमरे से निगरानी की गई। पेशवाई अपोलशंकरी मंदिर से दारागंज की ओर बढ़ी। उसके बाद से कुंभ मेला क्षेत्र में प्रवेश करने तक ड्रोन कैमरे से पेशवाई पर नजर रखी गई।

विक्रम संवत 912 ई. में हुई आनंद अखाड़े की स्थापना
 आनंद अखाड़ा की स्थापना विक्रम संवत 912 ई. में हुई। अखाड़ा के आराध्य देव सूर्य हैं। इनके यहां नागा संन्यासियों की भी टोली है। शैव संप्रदाय को मानने वाले संन्यासी भगवान शिव के उपासक हैं। वर्तमान में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज पीठाधीश्वर हैं। अखाड़े का मुख्यालय काशी में है तथा इसकी शाखाएं प्रयागराज, हरिद्वार और उज्जैन में हैं।


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