विश्व दिव्यांग दिवस : बुलंद हौसले से दिव्यांगता को परास्त करेंगे भावी कर्णधार Prayagraj News
कर्नलगंज स्थित त्रिशला फाउंडेशन में सेरेब्रल पाल्सी से पीडि़त दिव्यांगों में गजब का जुनून है। उन्होंने डॉक्टर इंजीनियर अफसर और बिजनेसमैन बनने का तानाबाना बुन रखा है।
प्रयागराज, जेएनएन। मुश्किलें कितनीं भी हैं, दरिया उफान पर हो, चढऩा चट्टान पर हो या छूना आसमान को हो, आखिरकार इंसान सफलता हासिल कर ही लेता है। दुनिया में कोई भी ऐसा काम नहीं है जिसे हम नहीं कर सकते हैं। इन्हीं बुलंद हौसले सेे दिव्यांगता को पटखनी देकर सेरेब्रल पॉल्सी (जन्मजात विकलांगता) से पीडि़त तमाम बच्चे सफलता का तानाबाना बुन रहे हैं।
त्रिशला फाउंडेशन में बच्चों को हर रोज नई सुबह का रहता है इंतजार
कर्नलगंज स्थित त्रिशला फाउंडेशन में अभिभावकों के साथ पहुंचे बच्चों को हर रोज नई सुबह का इंतजार रहता है। मध्य प्रदेश के पिपरिया के नौ वर्षीय ऋषभ जैन की गर्दन हमेशा झुकी रहती थी। वह अकेले चलने में भी सक्षम नहीं थे। मां श्रद्धा जैन उनके लिए सहारा बनीं। अब वह बैशाखी के सहारे चलने लगे हैं और खुद से भोजन भी करने लगे हैं। जिंदगी का लक्ष्य पूछने पर लड़खड़ाती जुबान से उन्होंने बताया कि वह वकालत करना चाहते हैं। वाराणसी के गऊघाट निवासी सार्थक पिता राधेश्याम और मां शुचि के साथ इलाज कराने पहुंचे थे। शारदा विद्या मंदिर से सातवीं की पढ़ाई करने वाले सार्थक ने बताया कि वह चल नहीं पाते थे। वह नेवी में कॅरियर बनाना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ के स्वराज बोल नहीं पाते थे। जुबान अब भी लड़खड़ाती है। पैर भी डगमगाते रहते हैं पर वह बिजनेसमैन बन समाज को आइना दिखाना चाहते हैं। बांग्लादेश के श्रेष्ठ सरकार टूटी-फूटी ङ्क्षहदी में कहते हैं डॉक्टर बनने का सपना है और पूरा भी होगा।
जिंदगी के खेवनहार बने डॉ. जेके जैन
सेरेब्रल पॉल्सी के विशेषज्ञ डॉ. जेके जैन ने बताया कि यह बीमारी गर्भ से लेकर ढाई साल तक किसी कारणवश मस्तिष्क का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त होने से होती है। वह बताते हैं कि समय से पूर्व जन्म लेने वालों में भी यह बीमारी होती है। डॉ. जैन ऐसे ही मरीजों के खेवनहार बने हैं। अब तक करीब 31 हजार लोगों के इलाज का दावा करने वाले डॉ. जैन बताते हैं कि यहां से 70 फीसद लोगों को आराम मिल चुका है।
इन्होंने बीमारी को दी पटखनी
गोरखपुर की यशी भी सेरेब्रल पॉल्सी से पीडि़त थी। उन्होंने दिव्यांगता को हराकर इंटर में टॉप किया। अब वह गोवा में नीट की तैयारी कर रही हैं। प्रयागराज के अल्लापुर निवासी हिमांशु श्रीवास्तव ने बीमारी को संघर्ष माना और वह प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक नियुक्त हुए। इसके अलावा गुजरात के राजकोट निवासी मशहूर कॉमेडियन जय चनियारा भी दिव्यांगता को हराकर वर्तमान में लोगों को गुदगुदा रहे हैं। इन लोगों ने प्रयागराज में ही इस बीमारी को मात दी।