कुंभ में ऑनलाइन होगा जमीनों का आवंटन
कुंभ मेला में अगले वर्ष ऑनलाइन जमीनों का आवंटन होगा। इसके लिए संस्थाओं को यूनिक आइडी नंबर आवंटित होगा। साथ ही साफ्टवेयर तैयार होगा।
ज्ञानेन्द्र सिंह, इलाहाबाद: प्रयागराज मेला प्राधिकरण कुंभ मेला क्षेत्र में जमीनों का आवंटन ऑनलाइन करने जा रहा है। इसके लिए विशेष साफ्टवेयर तैयार कराया जाएगा। संस्थाओं को यूनिक आइडी नंबर आवंटित किया जाएगा। सभी अभिलेखों का डिजिटाइजेशन कराया जाएगा। इससे संस्थाएं खतौनी की तरह अपनी जमीन के कागजात ऑनलाइन प्राप्त कर सकेंगे।
कुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में जमीनों के आवंटन में बड़े विवाद होते हैं। जिसकी जितनी पकड़ होती है वह वैसे ही जमीन और उसी के हिसाब से सुविधाएं प्राप्त कर लेता है। जमीन और सुविधाओं के लिए लखनऊ-दिल्ली तक से फोन घनघनाते हैं। इसीलिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण इस विवाद को खत्म करने की कोशिश में जुट गया है। ऑनलाइन जमीन आवंटन के लिए मेला के कुल क्षेत्रफल के हिसाब से जमीन का आवंटन होगा। प्रत्येक सेक्टर में जितने मुख्य मार्ग होंगे तथा उनमें जो संपर्क मार्ग होंगे, उन पर जितने भी प्लाट कटेंगे, वे सभी ऑनलाइन होंगे। इसी तरह गाटा मार्गो के भी प्लाट ऑनलाइन होंगे। गाटा मार्गो पर आदर्श प्लाट होंगे, साइज समान होगी। छोटी-बड़ी संस्थाओं को उसी के हिसाब से जमीन दी जाएगी। तीनों मार्गो पर जमीनों की लंबाई-चौड़ाई निर्धारित कर दी जाएगी। संस्थाओं को जो यूनिक आइडी नंबर आवंटित किया जाएगा, उससे वे अपनी जमीन के बारे में ऑनलाइन जान सकेंगे।
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हमेशा के लिए की जा रही व्यवस्था
यह व्यवस्था कुंभ, महाकुंभ के साथ ही माघमेला के लिए भी होगी। जमीनों का जो ऑनलाइन आवंटन इस बार किया जाएगा, उसी तरह हर बार किया जाएगा। भले ही गंगा-यमुना की धारा बदल जाएगी, पर जिस सेक्टर में अथवा जिस गाटा मार्ग पर जिस संस्था को जितनी जमीन इस बार दी जाएगी, उसी के हिसाब से अगली बार भी आवंटित की जाएगी।
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नहीं हो सकेगा फर्जीवाड़ा
कुंभ और माघमेला के दौरान जमीनों के आवंटन में बड़ा खेल होता था। मेला प्रशासन के तीन-चार कर्मचारी तो इसके लिए काफी चर्चा में रहते थे। अब ऑनलाइन रिकॉर्ड हो जाने से जमीनों के आवंटन में हेराफेरी नहीं हो सकेगी। फर्जी संस्थाएं भी पकड़ में आ जाएंगी। अब तक एक ही संस्था के लोग कई फर्जी संस्थाओं के नाम पर जमीन लेकर उपयोग करते थे।
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कोट--
'जमीनों के आवंटन में पारदर्शिता लाने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने यह प्रस्ताव तैयार किया है। इससे जहां जमीनों के आवंटन में विवाद नहीं होगा, वहीं संस्थाओं को भी सहूलियत मिलेगी। उन्हें भटकना नहीं पड़ेगा।'
विजय किरन आनंद, कुंभ मेलाधिकारी