केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दबाव में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति ने छोड़ी कुर्सी Prayagraj News
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति को इस्तीफा देने का दबाव बनाया गया था। इस्तीफा न देने पर बर्खास्तगी की बात पर कुलपति ने कुर्सी छोड़ी।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दबाव में आकर पद से इस्तीफा दिया। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी इस्तीफे का दबाव बना रहे थे। इस्तीफा न देने पर बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही थी। ऐसे में उन्होंने कुर्सी छोड़ दी।
हांगलू पर वित्तीय अनियमितता और यौन उत्पीडऩ का लगा था आरोप
31 दिसंबर 2015 को इविवि के कुलपति का पदभार ग्रहण करने के बाद प्रो. रतन लाल हांगलू पर वित्तीय अनियमितता और यौन उत्पीडऩ के तमाम आरोप लगे। शिकायत मंत्रालय के अलावा विश्वविद्यालय के विजिटर यानी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीफ रेक्टर यानी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से की गई। मंत्रालय की ओर से मामले में जांच कमेटी बनाई गई। तब से विवि प्रशासन ने नियुक्ति के लिए तीन बार विज्ञापन जारी किया। हालांकि, मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं होगी। इसी बीच मंत्रालय ने नियुक्ति से लगी रोक हटा ली। इसके बाद राष्ट्रीय महिला आयोग सक्रिय हो गया।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले में दखल बढ़ाया
पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह की शिकायत पर आयोग की टीम इविवि पहुंची। इसी बीच फिर से मंत्रालय में कुलपति की फाइल खुल गई। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले में दखल बढ़ाया और कुलपति को फोन कर इस्तीफा देने का दबाव बनाया। सूत्रों की मानें तो मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा यदि पद से इस्तीफा नहीं देंगे तो बर्खास्त कर दिया जाएगा। बार-बार फोन आने पर कुलपति ने कुर्सी छोड़ दी। उन्होंने मंत्रालय के दबाव में जो इस्तीफा भेजा है, उसमें इस्तीफा क्यों दे रहे हैं उसका जिक्र नहीं किया है। उन्होंने केवल एक लाइन लिखी है कि मैं इविवि के कुलपति पद से त्यागपत्र देता हूं।
इविवि के कुलपति हांगलू बोले, सच है, दबाव में ही दिया इस्तीफा
दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान कुलपति प्रोफेसर रतन लाल हांगलू ने बताया कि पिछले कई दिनों से मंत्रालय से बार-बार एक वरिष्ठ अधिकारी इस्तीफा देने का दबाव बना रहे थे। मंत्रालय की ओर से जो जांच कमेटी बनाई गई थी, उसने भी क्लीन चिट दे दी। इसके बावजूद न जाने क्यों इस्तीफा मांगा गया? अब राष्ट्रीय महिला आयोग भी मामले की जांच कर रहा है।