Allahabad University : जून माह की छुट्टी का भी गुरूजी लेते रहे परिवहन भत्ता, आठ वर्षों से चल रहा खेल
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में आठ साल से यह खेल चल रहा था। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने ब्योरा मांगा है। इससे जून माह में परिवहन भत्ता लेने वाले शिक्षक परेशान हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) के करीब 300 शिक्षक 2012 से जून माह के अवकाश के बावजूद परिवहन भत्ते का भुगतान ले रहे हैं। जबकि इविवि इसकी अनदेखी करता रहा। इस गड़बड़ी पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने आपत्ति जताई और पिछले आठ साल में शिक्षकों के खर्च का ब्योरा तलब किया तो इविवि प्रशासन के होश उड़ गए। इविवि ने नोटिस जारी कर शिक्षकों से जवाब मांगा है। जवाब 10 जुलाई तक नहीं मिला तो वेतन से वसूली की जाएगी।
शिक्षकों को प्रतिमाह परिवहन भत्ते का भुगतान वेतन संग होता है
विवि में कार्य दिवस में आने-जाने के लिए शिक्षकों को प्रतिमाह परिवहन भत्ते का भुगतान वेतन के साथ किया जाता हैै। इस पर कुल 50 लाख रुपये प्रतिमाह खर्च होते हैं। जून माह मेें गर्मी की छुट्टी हो जाती है लेकिन इस अवधि में भी शिक्षकों को परिवहन भत्ते दिए जाते रहे। अब तक इस मद से कुल चार करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।
कैग की आपत्ति पर इविवि के कार्यवाहक कुलपति ने मांगा जवाब
कैग ने इस पर आपत्ति जताई तो 12 जून को कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने शिक्षकों से जवाब मांगने का निर्देश दिया। रजिस्ट्रार प्रोफेसर एनके शुक्ल ने तीन जुलाई को सभी शिक्षकों को नोटिस जारी कर पूछा है कि कौन-कौन शिक्षक अवकाश के दौरान कार्यालय और शोध के काम से इविवि पहुंचे।
वहीं इविवि शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने जताई नाराजगी
वहीं इविवि शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर राम सेवक दुबे का कहना है कि कैग लगातार शिक्षकों के प्रति गलत व्यवहार कर रहा है। शिक्षकों से अवकाश की अवधि में कार्य लिया जाता है तो कटौती क्यों की जाएगी।
नॉन टीचिंग कर्मचारियों को मिले बोनस की भी वसूली
इविवि और संघटक महाविद्यालयों को दिए गए बोनस की वसूली के भी आदेश रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने दिए हैं। वर्ष 2015-16 और 2016-17 में इविवि और संघटक कॉलेज के करीब 1150 कर्मचारियों को करीब एक करोड़ 62 लाख रुपये भुगतान बोनस के रूप में किया गया था। 2017 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बोनस को विधि विरुद्ध बताते हुए वसूली का आदेश दिया था। साथ ही कहा था कि जिन कर्मचारियों के बोनस का भुगतान नहीं हुआ है, उन्हें दिया भी न जाए। कैग ने भी भुगतान पर ऑडिट में आपत्ति की। तमाम कर्मचारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। ऐसे में उनके पेंशन से वसूली होगी।