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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया, तत्‍काल वापस लेने की मांग की

छात्रनेता अजय यादव सम्राट ने कहा कि पिछले वर्षों में करोना आपदा में आय के साधन या समाप्त हो गए या अत्यंत सीमित हैं। ऐसे में जहां छात्र-छात्राओं की सुविधा के लिए शुल्क माफ होनी चाहिए थी पर इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन ने कई गुना शुल्क वृद्धि की गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 07 Jul 2022 04:15 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jul 2022 06:01 PM (IST)
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों ने फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन किया, तत्‍काल वापस लेने की मांग की
इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय छात्रसंघ भवन पर छात्रों ने फीस वृद्धि के विरोध में प्रदर्शन किया व ज्ञापन सौंपा।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिसर में गुरुवार को शुल्क बढ़ोतरी को लेकर छात्रों ने परीक्षा नियंत्रक कार्यालय पर जमकर प्रदर्शन किया। छात्र नेताओं के विभिन्न रूपों ने अलग-अलग समूह में जाकर ज्ञापन सौंपा। कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में देश के कोने-कोने से विशेषतः ग्रामीण परिवेशों से छात्र-छात्राएं दाखिला लेते है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में तीन गुना से अधिक फीस बढ़ोतरी कर छात्रों पर आर्थिक भार डाला है। फीस वृद्धि को वापस लेने की मांग करते हुए छात्रों ने जमकर नारेबाजी की।

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छात्रनेता अजय सम्राट बाले- शुल्‍क माफ होनी चाहिए थी लेकिन बढ़ा दी गई : छात्रनेता अजय यादव सम्राट ने कहा कि पिछले वर्षों में करोना जैसी वैश्विक महा आपदा में आय के साधन या तो समाप्त हो गए हैं या अत्यंत ही सीमित हैं। ऐसे में जहां छात्र-छात्राओं को अध्ययन अध्यापन की सुविधा के लिए शुल्क माफ होनी चाहिए थी, वहां पर कई गुना शुल्क वृद्धि उनके उज्ज्वल भविष्य की राह में एक कठिन चुनौती पेश की गई।

दिशा छात्र संगठन ने छात्रसंघ भवन पर किया प्रदर्शन : दिशा छात्र संगठन ने छात्रसंघ भवन पर प्रदर्शन किया। इसके बाद परिसर में पैदल जुलूस निकालकर कुलानुशासक आफिस में इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय कुलपति को ज्ञापन सौंपा और तत्काल फीस वृद्धि वापस लेने की मांग की। दिशा छात्र संगठन के चंद्रप्रकाश ने कहा कि इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय प्रशासन द्वारा नए सत्र में एडमिशन लेने वाले छात्रों के लिए चार गुना फीस वृद्धि निजीकरण की दिशा में बढ़ा हुआ एक कदम है। बेतहाशा फीस वृद्धि और कुछ नहीं बल्कि सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों का चोर दरवाजे से निजीकरण की दिशा में बढ़ा हुआ एक कदम है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने वाली छात्रों की एक बड़ी आबादी आम मेहनतकश परिवार, ग्रामीण मज़दूर-किसान परिवारों से आती है। विश्वविद्यालय प्रशासन का यह कदम छात्रों के इस आबादी को परोक्ष रूप से परिसर से बाहर कर देगा।

संगठन के धर्मराज ने बताया कि दरअसल यह फीस वृद्धि नई शिक्षा नीति 2020 का नतीजा है। शिक्षा समाज की रीढ़ होती है इसलिए एक सभ्य समाज में ऊंची तालीम निश्‍शुल्‍क होनी चाहिए। आज हमारे देश में बयार उल्‍टी दिशा में बह रही है। शिक्षा का व्यवसायीकरण-बाज़ारीकरण जोर शोर से किया जा रहा है।


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