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Covid-19: जानिए, किस 'देवदूत' को इंटरनेट मीडिया पर तलाश रहे Allahabad University के छात्र

इविवि के पुरा छात्र अजित प्रताप सिंह इस वक्त लखनऊ में पिछड़ा वर्ग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वह हर रोज अपने फेसबुक पेज से मदद मांग रहे हैं। खास बात तो यह है कि लोग खुलकर मदद के हाथ भी बढ़ा रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 25 Apr 2021 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 25 Apr 2021 09:01 AM (IST)
Covid-19: जानिए, किस 'देवदूत' को इंटरनेट मीडिया पर तलाश रहे Allahabad University के छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र इंटरनेट मीडिया के माध्‍यम से देश भर के कोरोना मरीजों की सहायता कर रहे। (फाइल फोटो)

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस के दूसरे चरण के संक्रमण से सभी लोग परेशान और बेहाल हैं। ऐसे में अस्‍पतालों से लेकर घरों तक लगभग सभी को मदद की आवश्‍यकता भी हो रही है। ऐसे में लोगों की मदद के लिए इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्र भी आगे आए हैं। ये छात्र कोरोना वायरस को मात देने के लिए हर रोज देवदूत की तलाश कर रहे हैं। वह घर बैठे देवदूत को तलाशने में कामयाब भी हो रहे हैं। साथ ही इनके जरिए देश के कोने-कोने में मदद भी कर रहे हैं। 

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प्रयागराज से मुंबई और गुजरात तक मिली मदद

इविवि के पुरा छात्र अजित प्रताप सिंह इस वक्त लखनऊ में पिछड़ा वर्ग विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। वह हर रोज अपने फेसबुक पेज से मदद मांग रहे हैं। खास बात तो यह है कि लोग खुलकर मदद के हाथ भी बढ़ा रहे हैं। लोगों को महामारी से बचाने के लिए प्रयागराज से लेकर मुंबई और गुजरात तक बेड और ऑक्सीजन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 

आर्थिक तौर पर भी मिल रही मदद

अजित ने फेसबुक पर पोस्ट किया मां मर गई, पिता पैसे के लिए ना मर जाये, आइये बचाते हैं। पोस्ट के जरिए बताया गया कि आजमगढ़ की पायल गौतम अपने पिता को लेकर मेडसिटी हॉस्पिटल लखनऊ में है, मां गुजर गई, पिता सीरियस हैं, लेकिन हॉस्पिटल का खर्च 35000 रोज आ रहा, गरीब के पास रुपये हैं नहीं। अभी किसी ने नंबर दिया मुझे रोते हुए काल की। बोल रही, डॉक्टर बोल रहे कि आक्सीजन कंसंट्रेटर ले लो तो उतने में काम हो जाएगा। कोई मददगार हो तो सरकारी में करा दे, नहीं तो आइए हम लोग मिल के थोड़ी-थोड़ी मदद करें, खरीद लें। इसके बाद पायल की मदद को हाथ बढ़ने लगे। 

इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार भी आया आगे

मदद के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय परिवार भी लगातार आ रहा है। पेज के संचालक कौस्तुभ त्रिपाठी और शैलजाकांत त्रिपाठी भी लगातार लोगों की मदद कर रहे हैं।


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