Move to Jagran APP

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ाने पर निर्णय आज, 1986 के बाद नहीं की गई है फीस में वृ्द्धि

देश के सबसे कम फीस लेने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की फीस तीस वर्षों से नहीं बढ़ी है।इवि ने 1986 में सिर्फ परीक्षा शुल्क में वृद्धि की थी। यह फीस 250 से बढ़ाकर 400 रुपये की गई थी। हालांकि कुछ साल पहले फीस बढ़ोत्तरी की कोशिश जरूर हुई थी

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 25 Jun 2022 06:50 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jun 2022 06:50 AM (IST)
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ाने पर निर्णय आज, 1986 के बाद नहीं की गई है फीस में वृ्द्धि
वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रहा इलाहाबाद विश्वविद्यालय फीस में बढोत्तरी पर विचार करने जा रहा है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। लंबे समय से वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रहा इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय फीस में बढोत्तरी पर विचार करने जा रहा है। इसको लेकर शनिवार को एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुलाई गई हैं। इसमें फीस वृद्धि को लेकर चर्चा होगी। बैठक में फीस बढ़ोत्तरी पर मुहर लगती है तो यह इस सत्र में प्रवेश लेने वाले छात्रों को अतिरिक्त फीस देनी पड़ सकती है। फीस कितनी बढ़ेगी इस पर निर्णय एकेडमिक काउंसिल में बनी सहमति के बाद लिया जाएगा।

prime article banner

एकेडमिक काउंसिल की बैठक में रखा जाएगा फीस बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव

देश के सबसे कम फीस लेने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की फीस तीस वर्षों से नहीं बढ़ी है।इवि ने 1986 में सिर्फ परीक्षा शुल्क में वृद्धि की थी। यह फीस 250 से बढ़ाकर 400 रुपये की गई थी।हालांकि कुछ साल पहले फीस बढ़ोत्तरी की कोशिश जरूर हुई थी पर भारी विरोध के कारण इसको लागू नहीं किया जा सका था। स्नातक पाठ्यक्रमों की वार्षिक फीस 924 रुपये हैं, वहीं परास्नातक पाठ्यक्रमों की फीस 1424 रुपये है।दरअसल बीते एक दशक के दौरान इवि के खर्च में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। इवि के अधिकारियों का कहना है कि इवि की फीस अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में फीस काफी कम है। 1912 में ट्यूशन फीस 12 रुपये थी और अभी ये मात्र 900 रुपये ही है। सरकार भी विश्वविद्यालयों के भारी भरकम खर्च से हाथ खींच रही है। उनको अपना खर्च स्वयं उठाने के लिए कहा जा रहा है, ऐसे में इवि ने फीस बढ़ोत्तरी पर चर्चा के लिए एकेडमिक काउंसिल की बैठक बुलाई है।

पीआरओ का है यह कहना

इवि लंबे समय से वित्तीय संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। आने वाले समय में इवि के सामने खुद संसाधन जुटाने की चुनौती है। इस संदर्भ में कल होने वाली अकादमिक कौंसिल की बैठक में चर्चा होने की आशा है।

जया कपूर, जनसंपर्क अधिकारी, इवि


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.