इलाहाबाद हाई कोर्ट में 27 जुलाई से खुली अदालत में होगी सुनवाई, विरोध के कारण लिया गया निर्णय
इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सोमवार से पुरानी व्यवस्था के तहत खुली अदालत में सुनवाई और ऑनलाइन दोनों व्यवस्थाओं को जारी रखने का निर्देश दिया।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना संक्रमण को देखते इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुकदमों की वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई का नियम बनाया था। लेकिन, उसमें तकनीकी दिक्कत आने लगी, जिससे वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया। इसे देखते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 27 जुलाई से खुली अदालत में भी मुकदमों की सुनवाई का निर्णय लिया है। मुख्य न्यायाधीश ने गुरुवार को सोमवार से पुरानी व्यवस्था के तहत खुली अदालत में सुनवाई और ऑनलाइन दोनों व्यवस्थाओं को जारी रखने का निर्देश दिया। इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से मुख्य न्यायधीश से वार्ता की थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश पांडेय, महासचिव जेबी सिंह, नवनिर्वाचित अध्यक्ष अमरेंद्रनाथ सिंह व नवनिर्वाचित महासचिव प्रभाशंकर मिश्र का प्रतिनिधिमंडल मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर के बुलावे पर उनसे मिलने गया। प्रतिनिधि मंडल ने स्पष्ट किया कि वर्तमान व्यवस्था से काफी असुविधाएं आ रही हैं। कहा कि सिर्फ वीडियो कांफ्रेसिंग से मुकदमों की सुनवाई मौजूदा हालात में व्यवहारिक नहीं है। इसके लिए बनाए गए क्यूबिक में इंतजाम नाकाफी है। कोविड-19 की महामारी के मद्देनजर वकीलों के लिए खतरा है। वकीलों की दिक्कत को समझते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पूर्व व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया। शुक्रवार 24 जुलाई को मुख्य न्यायाधीश सिर्फ महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई वीसी से करेंगे।
रही अव्यवस्था की स्थिति : जिन वकीलों के मुकदमे लिस्ट में थे वे गुरुवार को हाई कोर्ट पहुंच गए। हाई कोर्ट के गेटों पर बने क्यूबिक पर पहुंचे तो वहां भीड़ लग गई। नए मुकदमों की लिस्ट भी काफी लंबी थी। इसकी वजह से वकीलों की संख्या काफी ज्यादा हो गई और क्यूबिक में जगह कम हो गई। इससे वकील हंगामा करने लगे। शोर-शराबे के बीच किसी तरह से कुछ ही मुकदमों की सुनवाई हो सकी।
सिर्फ मैन्युअल नोटिस होगी रिसीव : हाई कोर्ट द्वारा मुकदमों की सुनवाई खुली अदालत में भी करने के निर्णय के बाद शासकीय अधिवक्ता कार्यालय ने भी ई-मेल से मुकदमों के नोटिस स्वीकार करने के निर्णय में परिवर्तन कर दिया है। अब सोमवार 27 जुलाई से क्रिमिनल मुकदमों और जमानत प्रार्थना पत्रों के नोटिस मैन्युअल स्वीकार किए जाएंगे। शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार पाल ने कहा है कि जिन अधिवक्ताओं ने 23 जुलाई को दिन में दो बजे तक ईमेल से नोटिस भेजे हैं वह पुन: मैन्युअल नोटिस कार्यालय के नोटिस सेक्शन में उपलब्ध करा दें।