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हाई कोर्ट ने नोएडा के बिल्डर पर रासुका के तहत कार्रवाई को वैध करार दिया, खारिज की याचिका

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि बिल्डर के खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा लोक शांतिभंग होने के अंदेशे के आधार पर रासुका के तहत की गयी कार्रवाई नियमानुसार है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 09:17 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2020 09:19 PM (IST)
हाई कोर्ट ने नोएडा के बिल्डर पर रासुका के तहत कार्रवाई को वैध करार दिया, खारिज की याचिका
हाई कोर्ट ने नोएडा के बिल्डर पर रासुका के तहत कार्रवाई को वैध करार दिया, खारिज की याचिका

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) के प्राइवेट बिल्डर जसवीर मान की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत निरुद्धि को वैध करार दिया है। हाई कोर्ट ने निरुद्धि आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल व न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने कहा कि याची के खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा लोक शांतिभंग होने के अंदेशे के आधार पर रासुका के तहत की गयी कार्रवाई नियमानुसार है। मान प्रॉपर्टीज एंड डेवलपर के मालिक व बिल्डर हैं जसबीर मान। उन्होंने शाहबेरी गांव में किसानों से जमीन खरीद कर बिना नक्शा पास कराए 261 फ्लैटों का निर्माण करा लिया। इस क्षेत्र में बिल्डरों ने कुल 431 फ्लैट का अवैध रूप से निर्माण कराया है।

किसानों की जमीन का अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा पहले ही किया जा चुका है, इसके बावजूद बिल्डरों ने अवैध रूप से किसानों से जमीन खरीदी और उस पर बिना प्राधिकरण की अनुमति के बिना नक्शा पास कराये निर्माण करा लिया। मल्टीस्टोरी बिल्डिंग खड़ी कर ली। निर्माण में घटिया मैटेरियल लगाया गया है। याची ने 261 फ्लैटों में 169 बेच दिए हैं। वहां 2017-18 में बने फ्लैट अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं। इसी दौरान घटिया माल लगाने के कारण निर्माण ध्वस्त हो गए थे। इसमें नौ लोगों की जान भी गई थी।

इस मामले को लेकर बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो याची व अन्य बिल्डरों ने फ्लैट खरीदने वालों को उकसाया और धरना प्रदर्शन कराकर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगाड़कर लोक शांतिभंग करने की कोशिश की। इस मामले में याची को गिरफ्तार किया गया। जेल में ही जिलाधिकारी ने रासुका लगाई है। जिलाधिकारी का कहना है कि अगर याची जेल से बाहर आया तो लोक शांति को भंग कर सकता है, जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी है।


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