कोविड-19 गाइडलाइन का पालन न होने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट नाराज, SSP प्रयागराज से स्पष्टीकरण मांगा
कोविड-19 की गाइडलाइन का सिर्फ कागजों में ही पालन करने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है।
प्रयागराज, जेएनएन। कोविड-19 की गाइडलाइन का सिर्फ कागजों में ही पालन करने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। इसको लेकर दाखिल अवमानना याचिका पर जिलाधिकारी व एसएसपी प्रयागराज से 18 अगस्त मंगलवार को स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए दो पहिया वाहन पर दो लोगों के बैठने की अनुमति देने का निर्देश दिया है। कहा कि हेलमेट व मास्क पहनना अनिवार्य होगा, अभी तक कोर्ट ने केवल पति-पत्नी को ही दो पहिया वाहन पर दो सवारी की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा कि ई-रिक्शा व आटो रिक्शा में चार लोग से अधिक न बैठें।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने क्वारंटाइन सेंटरों की दुर्दशा व अस्पतालों में इलाज की बेहतर सुविधाओं को लेकर कायम जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने अधिवक्ता अपूर्व देव द्वारा मास्क को आवश्यक वस्तुओं की तरह उपलब्ध कराने की मांग में भेजे पत्र को जनहित याचिका के रूप में कायम करने का आदेश देते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। एएसजीआइ शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि कोविड-19 जांच मशीन आयी है। लेकिन, कमरा तय न होने के कारण उसे लगाया नहीं जा सका है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार को मशीन लगाने के लिए कमरा नहीं मिल पा रहा है? वहीं, प्रयागराज सीएमओ ने हलफनामा दाखिल किया। कोर्ट ने उनसे कोरोना जांच व रिपोर्ट देने का ब्योरा मांगा था। रिपोर्ट आने में देरी को लेकर कोर्ट यह आदेश दिया था। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन लागू हुए पांच माह बीत चुके हैं। सरकार अभी गाइडलाइन तैयार करने में जुटी है, जबकि मौके पर उसका पालन करने की जरूरत है।
अधिवक्ता राम कौशिक व प्रियंका मिड्डा ने कोर्ट आदेश की अवहेलना करने की शिकायत की। कोर्ट ने अवमानना याचिका कायम करने का आदेश दिया। कहा कि इन्होंने जो फोटोग्राफ पेश किये हैं, उसे देखने से लगता है कि सारे प्लान कागजों में किये जा रहे हैं। अधिवक्ता एसके गर्ग ने अधिकारियों को सड़क पर निकलकर गाइडलाइन के पालन का जायजा लेने के निर्देश देने की मांग की।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि अधिकारी बाहर जा रहे हैं। लेकिन, उनके साथ लोग गैर जिम्मेदाराना व्यवहार करते हैं। सरकार पेंडेमिक की रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। साथ ही कोर्ट ने हाई रिस्क ग्रुप के 75 वर्षीय गर्ग के कोर्ट में आने पर सुरक्षा ढील देने पर नाराजगी व्यक्त की। कहा कि वकील या वादकारी के धमकाने से सुरक्षा नियमों में ढील न दी जाय।