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अक्सर होने वाली वकीलों की हड़ताल पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, यह धन और वक्त की है बर्बादी

हाईकोर्ट ने कहा है कि कुछ तारीखों को छोड़कर 2014 से कोविड 2019 की महामारी फैलने की वजह से कोर्ट बंद होने तक वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। रबर स्टैंप बना लिया गया है कि अधिवक्ता हड़ताल पर हैं वही फाइल पर लगा दी जाती है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 07:33 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 11:12 PM (IST)
अक्सर होने वाली वकीलों की हड़ताल पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी, यह धन और वक्त की है बर्बादी
कोर्ट ने कहा, हड़ताल से किसे हो रहा फायदा, टैक्स के पैसे हो रहे बर्बाद

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वादकारियों से काम कराने की फीस लेकर आए दिन हड़ताल करने वाले वकीलों के खिलाफ तल्ख टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा है कि वकीलों की अक्सर होने वाली हड़ताल न केवल कोर्ट के समय की बर्बादी है बल्कि टैक्स पेयर व वादकारियों के वित्तीय संस्थानों की बर्बादी है। इससे सामाजिक उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने मंडलायुक्त प्रयागराज को 2014 की लंबित अपील निश्चित अवधि में तय करने का आदेश जारी करने से इंकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिड़ला ने प्रफुल्ल कुमार की याचिका पर दिया है।

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हड़ताल के कारण नहीं हो सकी सुनवाई

हाई कोर्ट ने कहा है कि कुछ तारीखों को छोड़कर 2014 से लेकर कोविड महामारी फैलने की वजह से कोर्ट बंद होने तक वकीलों की हड़ताल के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। एक रबर स्टैंप बना लिया गया है कि अधिवक्ता हड़ताल पर हैं, वही फाइल पर लगा दी जाती है। वकील नियमित हड़ताल कर रहे हैं। इधर वकील हड़ताल पर हैं तो दूसरी तरफ हाईकोर्ट में लंबित केस को निश्चित अवधि में तय कराने की मांग में भारी संख्या में याचिकाएं दाखिल की जा रही है। अधिकांश की आर्डर शीट में वकीलों की हड़ताल का जिक्र है। कोर्ट ने इसे राज्य के लिए दुखद करार दिया, खास तौर पर राजस्व अदालतों के लिए।

फीस लेकर काम की बजाय करते हैं हड़ताल

कोर्ट ने कहा वकील वादकारियों से फीस लेकर हड़ताल कर रहे हैं, दूसरी तरफ हाईकोर्ट में केस की निश्चित अवधि में सुनवाई के याचिका दायर कर रहे हैं। कोर्ट ने राहत देने से इंकार कर दिया और कहा कि आदेश दिया गया तो अधिकारियों को हड़ताल की वजह से आदेश का पालन न होने पर अवमानना का भय होगा। ऐसी स्थिति मुकदमेबाजी को बढाएगी जिससे कोर्ट पर दबाव पड़ेगा। कोर्ट ने कहा कि बड़ा सवाल है कि इन हड़तालों से फायदा किसे होगा ? वहीं वकील, जो काम की फीस तो ले रहे, किन्तु काम न कर हड़ताल कर रहे और मुकदमेबाजी को बढ़ा रहे हैं। यह स्थिति वादकारी और समाज के हित में नहीं है। कोर्ट ने महानिबंधक को आदेश की प्रति सभी बार एसोसिएशनों, सभी जिला न्यायाधीशों, मंडलायुक्तों, राजस्व परिषद को 15 दिन के भीतर भेजने का आदेश दिया है ताकि संवेदनशीलता के साथ जागरूकता पैदा हो सकें।


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