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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजियाबाद में तैनात रहे भ्रष्टाचार में आरोपित पुलिस कर्मियों के निलंबन पर लगाई रोक

याची पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने एटीएम लूट कांड के अभियुक्त राजीव सचान व आमिर को गिरफ्तार करके उनसे लूट के 45 लाख 81 हजार 500 रुपये की बरामदगी होना बताया था जबकि अभियुक्तों ने कहा था कि उनसे एक करोड़ 20 लाख रुपये पुलिस ने बरामद किया था।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 08:46 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 08:46 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजियाबाद में तैनात रहे भ्रष्टाचार में आरोपित पुलिस कर्मियों के निलंबन पर लगाई रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भ्रष्टाचार करने में आरोपित गाजियाबाद में तैनात पुलिस कर्मियों के निलंबन पर रोक लगा दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लाखों रुपये की हेराफेरी कर भ्रष्टाचार करने में आरोपित गाजियाबाद में तैनात पुलिस कर्मियों के निलंबन पर रोक लगा दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा व न्यायमूर्ति अजय भनोट ने कांस्टेबल सौरभ शर्मा, सचिन कुमार व धीरज भारद्वाज द्वारा दाखिल अलग-अलग याचिकाओं पर पारित किया है। याचियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत है। उन्हें जेल भेजा गया। बाद में हाई कोर्ट से जमानत पर रिहा किया गया है।

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याची पुलिस कर्मियों पर आरोप है कि इन्होंने एटीएम लूट कांड के आरोपित अभियुक्त राजीव सचान व आमिर को गिरफ्तार करके उनसे लूट के 45 लाख 81 हजार 500 रुपये की बरामदगी होना बताया था, जबकि अभियुक्तों ने कहा था कि उनसे एक करोड़ 20 लाख रुपये पुलिस ने बरामद किया था।

अभियुक्तों के बयान के बाद एसएसपी गाजियाबाद ने इंस्पेक्टर लक्ष्मी सिंह चौहान समेत छह अन्य पुलिस कर्मियों को 25 सितंबर 2019 को यूपी अधीनस्थ श्रेणी के पुलिस अधिकारियों की (दंड एवं अपील) नियमावली 1991 के नियम 17 (1)(क) के प्रावधानों के अंतर्गत निलंबित कर दिया था। इस दौरान उन्हें गाजियाबाद पुलिस लाइंस में संबद्ध कर दिया गया।

याचीगण के निलंबन आदेश को चुनौती देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि निलंबन आदेश नियम व कानून के विरुद्ध है। अधिवक्ता का कहना था कि निलंबन आदेश पारित करते समय सक्षम अधिकारी के समक्ष कोई मैटेरियल नहीं था। कहा गया कि निलंबन आदेश सच्चिदानंद त्रिपाठी केस में हाई कोर्ट द्वारा दी गई विधि व्यवस्था के विरुद्ध है। 


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