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Allahabad High Court: मदरसा वेतनभोगियों के वित्तीय अनुमोदन काे निरस्त करने के आदेश पर रोक

नजमा बानो व अन्य याची हमीरपुर जिले में राजकीय सहायता प्राप्त संस्था मदरसा रहमानिया अनवारुल उलूम मौदहा में सहायक अध्यापक एवं कर्मचारी के रूप में लंबे समय से सेवारत हैं। इस वर्ष एक शिकायत के क्रम में विभाग ने याचियों के वित्तीय अनुमोदन को निरस्त कर वेतन रोक दिया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 10:58 AM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 10:58 AM (IST)
Allahabad High Court: मदरसा वेतनभोगियों के वित्तीय अनुमोदन काे निरस्त करने के आदेश पर रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मदरसे के वित्तीय अनुमोदन वापसी आदेश पर रोक लगाई, राज्‍य सरकार से जवाब तलब किया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अनुदानित मदरसे के आठ वेतन भोगियों के वित्तीय अनुमोदन काे निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही उक्त मामले में राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने नजमा बानो समेत आठ लोगों की याचिका पर दिया है।

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हमीरपुर जिले के अनुदानित मदरसे का मामला : नजमा बानो व अन्य याची हमीरपुर जिले में राजकीय सहायता प्राप्त संस्था मदरसा रहमानिया अनवारुल उलूम मौदहा में सहायक अध्यापक एवं कर्मचारी के रूप में लंबे समय से सेवारत हैं। इस वर्ष एक शिकायत के क्रम में विभाग ने याचियों के वित्तीय अनुमोदन को निरस्त कर वेतन रोक दिया।

याचिका में आदेश को चुनौती दी गई : इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई है। याची की ओर से कोर्ट को बताया गया कि नियुक्ति करने वाले तत्कालीन प्रबंधक का चुनाव अवैध पाए जाने के कारण कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। कहा गया कि प्रबंधक का चुनाव अवैध होने से याचियों की नियुक्ति अवैध नहीं ठहराई जा सकती। कर्मचारियों का चयन एवं नियुक्ति प्रक्रिया वस्तुत: विधिक सिद्धांत के अंतर्गत सुरक्षित है। कोर्ट ने वित्तीय अनुमोदन निरस्त करने के आदेश को अगली सुनवाई तक स्थगित कर दिया। साथ ही विभाग को नियमित वेतन भुगतान करने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट में लोक अदालत, 396 वादों का निस्तारण : इलाहाबाद उच्च न्यायालय में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व मुख्य संरक्षक उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के दिशा-निर्देश में किया गया। मुख्य न्यायमूर्ति के निर्देशानुसार हाई कोर्ट में चार लोक अदालत पीठ का गठन किया गया। इसमें न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा, न्यायमूर्ति नीरज तिवारी, न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल व न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम की पीठ ने 396 वादों का निस्तारण आपसी समझौते के आधार पर कराया। इसके साथ पक्षकारों को 11,91,69,378 रुपये प्रतिकर के रूप में दिलाया गया।


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