Allahabad High Court: दूसरे लेखपाल के दबाव में डेढ़ महीने लेखपाल के तबादला आदेश पर रोक
मुरादाबाद के मोहम्मदपुर बस्तौर में 21 मार्च 2022 को स्थानांतरित होकर आए लेखपाल याची का महज दो महीने में चार मई को अलाहदादपुर तबादले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। उसे मोहम्मदपुर बस्तौर में ही तैनात रहने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुरादाबाद के मोहम्मदपुर बस्तौर में 21 मार्च 2022 को स्थानांतरित होकर आए लेखपाल याची का महज दो महीने में चार मई को अलाहदादपुर तबादले पर रोक लगा दी है। उसे मोहम्मदपुर बस्तौर में ही तैनात रहने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने विपक्षी सहित राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई 25 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लेखपाल तेहर सिंह की याचिका पर दिया है।
याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता डीएस मिश्र व चंद्रकेश मिश्र ने बहस की। इनका कहना है कि याची को मार्च में महमूदपुर माफी से मोहम्मदपुर बस्तौर स्थानांतरित किया गया। तबादला आदेश एस डी ओ तहसील बिलारी ने जारी किया। डेढ़ माह भी नहीं बीता कि याची का विपक्षी लेखपाल के दबाव में दुबारा तबादला कर दिया गया। इसके स्थान पर तीन साल की सेवा के बाद चंगेरी भेजें गए विपक्षी लेखपाल किशनलाल सैनी को बुला लिया गया।जिसे चुनौती दी गई है। मोहम्मदपुर बस्तौर से सैनी को 27 अक्टूबर 2021 को तबादला किया गया था। एक साल में ही वापस आ गया और याची को वहां से हटा दिया गया।
शासनादेश के तहत डीपीसी की संस्तुति का सीलबंद लिफाफा खोलने का आदेश
प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को याची की इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति की विभागीय कमेटी की संस्तुति का सील बंद लिफाफा खोलने तथा 28 मई 1997 के शासनादेश के खंड-10 के तहत उसे इंस्पेक्टर पद पर तदर्थ नियुक्ति देने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा ने बागपत के दरोगा शिवराज सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता इरफान अहमद मलिक ने बहस की।इनका कहना था कि याची 1989 में पुलिस कांस्टेबल नियुक्त हुआ। वर्ष 2008 में दारोगा पद पर पदोन्नति दी गई। इसने इंस्पेक्टर पद पर पदोन्नति की अर्जी दी। विभागीय प्रोन्नति कमेटी ने अपनी संस्तुति सीलबंद लिफाफे में बोर्ड को भेजी है। याची के खिलाफ 12 जनवरी 2020 को गाजियाबाद के मसूरी थाना में भ्रष्टाचार के आरोप में एफआइआर दर्ज होने के कारण पदोन्नति नहीं दी जा रही है, जबकि शासनादेश के तहत याची तदर्थ नियुक्ति पाने का अधिकार है। कोर्ट ने भी ऐसे मामले में विचार करने का निर्देश दिया है।