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Allahabad High Court में न्यायाधीशों की कमी बढ़ा रही मुकदमों का बोझ, जज के 60 पद खाली उच्च न्यायालय में

इलाहाबाद हाई कोर्ट 17 मार्च 1866 से प्रदेशवासियों को न्याय दे रहा है। हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं। मौजूदा समय हाई कोर्ट में सिर्फ सौ न्यायाधीश कार्यरत हैं। न्यायाधीशों की कमी के चलते हाई कोर्ट में इस समय 1032088 मुकदमे लंबित हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 29 Nov 2022 02:35 PM (IST)Updated: Tue, 29 Nov 2022 02:35 PM (IST)
Allahabad High Court में न्यायाधीशों की कमी बढ़ा रही मुकदमों का बोझ, जज के 60 पद खाली उच्च न्यायालय में
हाई कोर्ट में मौजूदा समय न्यायाधीशों के 60 पद खाली हैं। इससे कोर्ट मुकदमों की संख्या बढ़ रही है।

प्रयागराज, जेएनएन। त्वरित न्याय की राह में न्यायाधीशों की कमी आड़े आ रही है। एशिया के सबसे बड़े इलाहाबाद हाई कोर्ट में कुछ ऐसा ही है। हाई कोर्ट में मौजूदा समय न्यायाधीशों के 60 पद खाली हैं। इसके चलते कोर्ट मुकदमों की संख्या बढ़ रही है।

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एक जज को 150 से लेकर चार सौ मुकदमों की करनी पड़ती है प्रतिदिन सुनवाई

साथ ही न्यायाधीशों पर काम का बोझ बढ़ता जा रहा है। स्थिति यह है कि हर कोर्ट में प्रतिदिन न्यायाधीश के समक्ष 150 से लेकर चार सौ मुकदमे सुनवाई के लिए पेश किया जाता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट 17 मार्च 1866 से प्रदेशवासियों को न्याय दे रहा है। हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं। मौजूदा समय हाई कोर्ट में सिर्फ सौ न्यायाधीश कार्यरत हैं। न्यायाधीशों की कमी के चलते हाई कोर्ट में इस समय 10,32,088 मुकदमे लंबित हैं। इसकी समय से सुनवाई न होने के कारण लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है।

प्रतिदिन 3500 से अधिक मुकदमें होते हैं दाखिल

इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रतिदिन 3500 से अधिक नए मुकदमे दाखिल किए जाते हैं। वहीं, 30 हजार के लगभग मुकदमे सुनवाई के लिए प्रतिदिन लगते हैं। समयाभाव के कारण काफी मुकदमों की सुनवाई नहीं हो पाती। इससे वह लंबित होते जाते हैं।

नहीं कारगर हुई वर्चुअल सुनवाई

कोरोना संक्रमण काल में हाई कोर्ट में केसों की वर्चुअल सुनवाई शुरू की गई थी। परंतु तकनीकी कारणों यह प्रक्रिया सफल नहीं हुई। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव सत्यधीर सिंह जादौन कहते हैं कि वर्चुअल सुनवाई की प्रक्रिया जटिल है, वो व्यवहारिक भी नहीं है। उसमें केस के बारे में अधिवक्ता व वादकारी को समय पर जानकारी भी नहीं मिलती थी। नेटवर्क जाने से अचानक सुनवाई रुक जाती थी। इसी कारण उस प्रक्रिया से सभी असंतुष्ट थे।

हाई कोर्ट में जजों के स्वीकृत 160 पद कम है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। इसके पहले सारे स्वीकृत पदों को भरना अत्यंत आवश्यक है। तभी लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी। स्वीकृत पद खाली रहने से मुकदमों की संख्या व न्याय का इंतजार बढ़ेगा।

-सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, इलाहाबाद हाई कोर्ट


बार अध्यक्ष का है कहना

हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की कमी से न्याय प्रक्रिया बाधित हो रही है। इससे आम जनता को दिक्कत झेलनी पड़ रही है। मुदकमा लंबित होने से अधिवक्ता भी परेशान होते हैं। जनहित को ध्यान में रखते हुए सरकार को न्यायाधीशों के खाली पदों को जल्द भरना चाहिए।

-राधाकांत ओझा, अध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन

 पूर्व अध्यक्ष ने कही ये बात

अगर सरकार जजों की नियुक्ति की नीति बदलना चाहती है तो उस प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाना चाहिए, जिससे खाली पद शीघ्र भरे जाएं। बिना जजों की नियुक्ति के जनता को त्वरित न्याय दिलाने की संकल्पना साकार नहीं हो पाएगी।

-अमरेंद्रनाथ सिंह, पूर्व अध्यक्ष हाई कोर्ट बार एसोसिएशन


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