सूचना के अधिकार कानून से बाहर नहीं होंगे लोकायुक्त: इलाहाबाद हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा है कि देश की आजादी के 70 सालों से केवल भ्रष्टाचार ही है जिसका बहुंमुखी विकास हुआ है।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के लोकायुक्त को सूचना अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने की राज्य सरकार की तीन अगस्त 2012 की अधिसूचना को अवैध करार देते हुए रद कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रदेश की नौकरशाही के खिलाफ करोड़ों के भ्रष्टाचार की जांच तो होती है, लेकिन किसी को सजा मिलते नहीं सुनाई देता।
लोकायुक्त को कार्यवाही करने का अधिकार नहीं है वह केवल रिपोर्ट दे सकता है। प्रदेश के लोकायुक्त की हालत कागजी शेर जैसी है। ऐसे में उसकी जांच रिपोर्ट को सूचना अधिकार कानून के दायरे से बाहर रखने का आदेश पारदर्शी प्रक्रिया के खिलाफ है।
न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि देश की आजादी के 70 सालों से केवल भ्रष्टाचार ही है जिसका बहुंमुखी विकास हुआ है। इसने देश की जड़ें खोखली कर दी है।नौकरशाही नहीं चाहती कि देश से भ्रष्टाचार खत्म हो। कोर्ट ने कहा है कि यह मानवाधिकारों के खिलाफ है। भ्रष्टाचार के कारण गरीबों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
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प्राथमिक शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए सरकार भारी बजट देती है। भ्रष्टाचार के चलते आम आदमी स्वास्थ्य व शिक्षा से वंचित हैं। उच्च शिक्षा गरीबों की पहुंच से बाहर है। पारदर्शी व्यवस्था के लिए जांच रिपोर्ट की जानकारी आम आदमी को होनी चाहिए।
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