Move to Jagran APP

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- विधवा बहू के साथ नहीं खड़ा होता है परिवार

हाई कोर्ट ने कहा है कि अधिकांश माता-पिता जिनके बेटे की अकाल मृत्यु हो जाती है अपनी बहू को इस अनहोनी के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए उचित और अनुचित हर तरह का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Mon, 23 May 2022 11:14 PM (IST)Updated: Mon, 23 May 2022 11:14 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी, कहा- विधवा बहू के साथ नहीं खड़ा होता है परिवार
मृतक आश्रित कोटे से विधवा महिला की नियुक्ति पर विचार का निर्देश

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि अधिकांश माता-पिता, जिनके बेटे की अकाल मृत्यु हो जाती है, अपनी बहू को इस अनहोनी के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए उचित और अनुचित हर तरह का सहारा लेकर उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने दीपिका शर्मा की याचिका की सुनवाई करते हुए की है।

loksabha election banner

पति की मौत के बाद भुखमरी झेल रही पत्नी-बच्चे

याचिका में पति की मृत्यु के कारण विधवा याची को अनुकंपा नियुक्ति देने का भी बीएसए कुशीनगर को निर्देश देने की मांग की गई थी। याची के पति 2015 में प्राइमरी स्कूल में सहायक अध्यापक नियुक्त हुए और सितंबर 2021 में उनकी मृत्यु हो गई। याची का कहना था कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और पति की मृत्यु के बाद वह व उसका एक साल का बच्चा भुखमरी के कगार पर पहुंच गये हैं। कोर्ट ने याची की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है।

ससुर ने कहा- बहू की क्रूरता के कारण उनके बेटे की मौत

इस बीच महिला के ससुर ने दावा किया कि याची उसके बेटे को परेशान कर रही थी जिससे वह बीमार हो गया और मर गया। उन्होंने यह भी कहा कि याची की क्रूरता के परिणामस्वरूप उसके बेटे की मृत्यु हुई। साथ ही मृतक के भाई ने याची के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उसने फोन पर भाई यानी अपने पति की गर्दन काटने की धमकी दी। एफआइआर में कई अन्य आरोप लगाए गए थे। मृतक के पिता ने कुशीनगर में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को अपने पक्ष में एक वसीयत भी भेजी। उक्त तथ्यों के कारण याची की अनुकंपा नियुक्ति लटकी रही ।

पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए हर तरह से बेईमानी का उपयोग

कोर्ट ने कहा, यदि सरकारी सेवा में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी पत्नी या पति, बेटे और अविवाहित व विधवा बेटियां अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र हैं। कोर्ट ने कहा मृत्यु से पहले न तो याची के ससुर और न ही उसके देवर ने याची के खिलाफ कोई शिकायत दर्ज की थी। और मृतक के पिता व भाई नहीं चाहते कि याची को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी जाए। कहा कि याची के ससुर व देवर का व्यवहार सामान्य नहीं है, क्योंकि अधिकांश माता-पिता जिनके बेटे की अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो जाती है, बहू को उसकी मृत्यु के लिए दोषी ठहराते हैं और उसे पति की संपत्ति से वंचित करने के लिए हर तरह से बेईमानी का उपयोग करके उससे छुटकारा पाना चाहते हैं। यह ऐसा ही एक मामला है। जिसमें याची के पति की मृत्यु के बाद उसके ससुर और देवर उसे अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति से वंचित करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं ।

हाई कोर्ट ने कहा उनके कार्यों से संकेत मिलता है कि वे अब उसे और उसकी नाबालिग बेटी को परिवार के सदस्य के रूप में स्वीकार नहीं करते हैं। ऐसे में याची पूरी तरह से शक्तिहीन है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नियमों की धारा 2 (सी) में ससुर और देवर को परिवार की परिभाषा से बाहर रखा गया है और इस प्रकार वे अनुकंपा नियुक्ति के लिए अपात्र हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.