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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, टीजीटी 2016 जीव विज्ञान शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में करें पूरी

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कॉलेजों में जीव विज्ञान के TGT 2016 के पदों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 11:04 AM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 11:05 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, टीजीटी 2016 जीव विज्ञान शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में करें पूरी
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा, टीजीटी 2016 जीव विज्ञान शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में करें पूरी

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक कॉलेजों में जीव विज्ञान के प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT 2016) के पदों की नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में पूरा करने का निर्देश दिया है। सुनवाई के दौरान प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा की ओर से दाखिल हलफनामा में जानकारी दी गई कि राज्य सरकार ने इन पदों को समाप्त करने की 12 जुलाई 2018 की अधिूसचना को वापस लेते हुए माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को 2016 में विज्ञापित 304 पदों के सापेक्ष नियुक्तियां पूरी करने को कहा है। इस पर कोर्ट ने जीव विज्ञान टीजीटी की चयन प्रक्रिया तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दिया है। 

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कोर्ट ने अगली तारीख पर यह भी स्पष्ट करने को कहा कि प्रदेश सरकार ने इसके लिए नियमावली में संशोधन किया या नहीं। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने छह जून 2016 को एडेड कॉलेजों में टीजीटी का विज्ञापन जारी किया था। फिर 12 जुलाई 2018 को अधिसूचना जारी कर इसमें जीव विज्ञान के पद समाप्त कर दिया गया। राज्य सरकार का कहना था कि विज्ञान के सभी विषयों को मिलाकर सामान्य विज्ञान विषय बनाया गया है। इसके बाद याचिका दाखिल की गई। न्यायालय में प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया कि जीव विज्ञान हाईस्कूल में विज्ञान के साथ अलग से विषय है इसलिए विज्ञान शिक्षक की अर्हता में अलग से इस विषय को शामिल करने की आवश्यकता नहीं है।

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विज्ञान शिक्षक के लिए योग्यता बीएससी रसायन विज्ञान व भौतिकी है। याचियों की ओर से कहा गया कि जीव विज्ञान विषय को समाप्त नहीं किया गया है। उस अध्यापक से जीव विज्ञान पढ़ाने की उपेक्षा कैसे की जा सकती है। इस मुद्दे पर कई बार जवाब मांगने पर भी राज्य सरकार की ओर से कोई अपेक्षित जवाब नहीं दिया गया। याचिका पर पूर्व में न्यायालय ने अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा को स्पष्ट निर्देश दिया कि अगली सुनवाई तक इस मामले में निर्णय नहीं लिया जाता तो वह व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें।  


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