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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- कानूनी प्रक्रिया से ही हटा सकते हैं नगर पंचायत अध्यक्ष

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर जिले के मसवासी नगर पंचायत के अध्यक्ष को पद से हटाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत चयनित व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया विहित है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 08:05 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 08:05 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- कानूनी प्रक्रिया से ही हटा सकते हैं नगर पंचायत अध्यक्ष
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- कानूनी प्रक्रिया से ही हटा सकते हैं नगर पंचायत अध्यक्ष

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामपुर जिले के मसवासी नगर पंचायत के अध्यक्ष को पद से हटाने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत चयनित व्यक्ति को पद से हटाने की प्रक्रिया विहित है। उसी के तहत ही किसी को पद से हटाया जा सकता है। ऐसे में जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि को पद से हटाने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है और पंचायत सदस्य याची को कानूनी प्रक्रिया अपनाने की छूट दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने नगर पंचायत सदस्य महेशचंद्र भारद्वाज की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि नगर पंचायत अध्यक्ष ने ठेकों के आवंटन व विकास कार्यों में भारी वित्तीय घोटाला किया है। उसकी जांच रिपोर्ट आ चुकी है। इसके बावजूद वह पद पर बने हैं। घोटाला रोकने के लिए उन्हेंं पद से हटाया जाए।

वहीं, सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 48 में चुने हुए पंचायत अध्यक्ष को पद से हटाने की कानूनी प्रक्रिया दी गयी है। ऐसे में याचिका पोषणीय नहीं है। कोर्ट ने संविधान के 74वें संशोधन से स्थानीय चुनी हुई जनतांत्रिक सरकार के उपबंधों व सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि संविधान की मंशा निचले स्तर पर जनतंत्र को लागू करने की है। संविधान संशोधन से लोकल सेल्फ गवर्नमेंट की परिकल्पना को साकार करने का सिस्टम बनाया गया है। पंचायत राज को सांविधानिक दर्जा दिया गया है। चुने हुए प्रतिनिधि को पद से हटाने की कानूनी प्रक्रिया दी गयी है। ऐसे में कानून के तहत ही किसी को पद से हटाया जा सकता है।


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