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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- प्रधान को निजी अधिवक्ता से याचिका दाखिल कराने का अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गांव सभा या ग्राम प्रधान को प्राइवेट वकील के जरिए याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। वह केवल राज्य सरकार से नियुक्त अधिवक्ता पैनल के अधिवक्ता के मार्फत ही याचिका दाखिल कर सकता है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 05 Nov 2020 06:18 PM (IST)Updated: Thu, 05 Nov 2020 06:18 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- प्रधान को निजी अधिवक्ता से याचिका दाखिल कराने का अधिकार नहीं
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- प्रधान को निजी अधिवक्ता से याचिका दाखिल कराने का अधिकार नहीं

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि गांव सभा या ग्राम प्रधान को प्राइवेट वकील के जरिए याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। वह केवल राज्य सरकार से नियुक्त अधिवक्ता पैनल के अधिवक्ता के मार्फत ही याचिका दाखिल कर सकता है। कोर्ट ने हमीरपुर के मौदहा तहसील की फत्तेपुर गांव सभा के ग्राम प्रधान की याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि यदि इसकी अनुमति दी गयी तो राजस्व कोड की धारा 72(4) का बाईपास करने की अनुमति होगी और अधिनियम के उद्देश्य को विफल कर देगी। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने ग्राम प्रधान अता नसीबा की याचिका पर दिया है। याचिका में जिलाधिकारी हमीरपुर के उस आदेश को चुनौती दी गयी थी। इसके तहत मौदहा नगर पालिका परिषद के क्षेत्र का विस्तार करने के कारण फत्तेपुर गांव सभा का अधिकांश भाग परिषद में शामिल होने के नाते गांव सभा का फंड रोका गया है। फंड रोकने के खिलाफ गांव सभा ने जिला पंचायत राज अधिकारी के समक्ष याचिका दाखिल की। वहां खारिज होने के बाद दाखिल अपील जिलाधिकारी ने खारिज कर दिया।

प्रधान व गांव सभा ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दिया। सरकारी वकील ने याचिका प्राइवेट वकील से दाखिल कराने पर आपत्ति की। इस पर याची अधिवक्ता ने गांव सभा को पक्षकार से हटा लिया और कहा कि याची ने व्यक्तिगत हैसियत से केस दाखिल किया है। याची ग्राम प्रधान भी है। कोर्ट ने कहा कि धारा 72(4) में स्पष्ट लिखा है कि गांव सभा, ग्राम पंचायत व भूमि प्रबंधक समिति बिना कलेक्टर की पूर्व अनुमति के सरकारी अधिवक्ता के अतिरिक्त प्राइवेट वकील से मुकदमा दाखिल करने का अधिकार नहीं है।

ग्राम प्रधान ने डीपीआरओ के समक्ष वाद दायर किया और आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की। अब प्रधान को व्यक्तिगत हैसियत से अपील पर पारित आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती। कोर्ट कानून को बाईपास करने की इजाजत नहीं दे सकती।


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