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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिले के दर्जनों गन्ना किसानों के भुगतान के मामले में निर्णय किया सुरक्षित

इलाहाबाद हाई कोर्ट में बस्ती जिले में रुदौली के दर्जनों किसानों ने बजाज शुगर मिल द्वारा गन्ना मूल्य का भुगतान न करने के खिलाफ याचिका दाखिल की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 16 Sep 2020 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 16 Sep 2020 10:56 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिले के दर्जनों गन्ना किसानों के भुगतान के मामले में निर्णय किया सुरक्षित
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बस्ती जिले के दर्जनों गन्ना किसानों के भुगतान के मामले में निर्णय किया सुरक्षित

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य के भुगतान के मामले में निर्णय सुरक्षित कर लिया है। बस्ती जिले में रुदौली के दर्जनों किसानों ने बजाज शुगर मिल द्वारा भुगतान न करने के खिलाफ याचिका दाखिल की है। कनिकराम और दर्जनों अन्य किसानों की याचिका पर न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की पीठ सुनवाई कर रही है।

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याचियों का कहना है कि उनका गन्ना क्षेत्र बजाज शुगर मिल के लिए सुरक्षित है। उन्होंने वर्ष 2019-20 के पेराई सत्र के लिए मिल को गन्ना आपूर्ति की थी। लेकिन, शुगर मिल ने उसका भुगतान नहीं किया है। किसानों ने इस संबंध में गन्ना आयुक्त को चार फरवरी, 2019 मई और 13 जुलाई 2020 को पत्र भी लिखा। इसके बावजूद भुगतान को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। शुगर मिल को 28,086 किसानों ने गन्ना सप्लाई किया था, जिसका मूल्य 132.5194 करोड़ रुपये होता है। लेकिन, शुगर मिल ने अब तक सिर्फ 7639 किसानों को 18.635 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि नियमानुसार गन्ना सप्लाई के 15 दिनों के भीतर भुगतान हो जाना चाहिए। ऐसा नहीं करने पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान भी करना होगा।

वहीं, प्रदेश सरकार के अधिवक्ता का कहना था कि चीनी मिल ने किसानों का भुगतान न करके गंभीर गलती की है। इसके लिए मिल को रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किया गया है, जबकि चीनी मिलों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एमडी सिंह शेखर का कहना था कि गन्ना किसानों को व्यक्तिगत रूप से याचिका दाखिल करने का अधिकार नहीं है। शुगर मिल को रिकवरी सर्टिफिकेट जारी हो चुका है। शुगर मिल ने गन्ना आयुक्त को भुगतान का शेड्यूल दे दिया है। उसके मुताबिक फरवरी 2021 तक किसानों का भुगतान कर दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में याचिका पोषणीय नहीं है।


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