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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया सवाल, मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों को न्यूनतम वेतन क्यों नहीं

कोर्ट ने पूछा कि न्यूनतम वेतन क्यों नहीं दिया जा सकता। अदालत ने सरकारी अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाहा से प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से रसोइयों के काम का समय और न्यूनतम वेतन देने के मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 06:19 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 06:19 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने किया सवाल,  मिड डे मील बनाने वाले रसोइयों को न्यूनतम वेतन क्यों नहीं
मिड डे मील योजना के तहत कार्यरत रसोइयों के मानदेय पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

प्रयागराज, विधि संवाददाता।  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा उप्र व जिलाधिकारी आजमगढ़ से मिड डे मील योजना के तहत कार्यरत रसोइयों के मानदेय पर व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है। पूछा है कि इन्हें समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत के तहत न्यूनतम वेतन क्यों नहीं दिया जा सकता। मामले में अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस तथा न्यायमूर्ति एस डी सिंह की खंडपीठ ने रसोइया संघ ब्लाक अहरौला की तरफ से दाखिल याचिका पर दिया है।

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न्यूनतम वेतन भुगतान की है मांग

याची का कहना है कि रसोइयों को प्रतिमाह एक हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है। इन्हें न्यूनतम वेतन का भुगतान किया जाय। सभी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मिड डे मील योजना के तहत याचियों की मानदेय पर नियुक्ति की गई है। इससे पहले विशेष सचिव बेसिक ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि मानदेय बढ़ाकर दो हजार किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि न्यूनतम वेतन क्यों नहीं दिया जा सकता। अदालत ने सरकारी अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाहा से प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा से रसोइयों के काम का समय और न्यूनतम वेतन देने के मामले में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।


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