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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसएसपी कार्यालय प्रयागराज के सामने ध्वस्त भवन का मलबा हटाने पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसएसपी कार्यालय प्रयागराज के सामने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के बाद पड़ा मलबा हटाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस भूखंड को लेकर याची की आपत्तियों पर जिलाधिकारी का निस्तारण संबंधी आदेश भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 08:34 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 08:34 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसएसपी कार्यालय प्रयागराज के सामने ध्वस्त भवन का मलबा हटाने पर लगाई रोक
हाई कोर्ट ने एसएसपी कार्यालय प्रयागराज के सामने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के बाद पड़ा मलबा हटाने पर रोक लगा दी है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एसएसपी कार्यालय प्रयागराज के सामने ध्वस्तीकरण कार्रवाई के बाद पड़ा मलबा हटाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस भूखंड को लेकर याची की आपत्तियों पर जिलाधिकारी का निस्तारण संबंधी आदेश भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। साथ ही प्रयागराज विकास प्राधिकरण व राज्य सरकार को पूरे मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस व न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की विशेष खंडपीठ ने विवादित भूखंड पर दावा करने वाले संजय अग्रवाल की याचिका पर दिया है।

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याचिका पर अगली सुनवाई तीन नवंबर को होगी। जिला प्रशासन को तब तक वहां से मलबा न हटाने और भूमि की प्रकृति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं करने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय ने याची का पक्ष रखा। बताया कि याची ने विवादित भूखंड को 22 दिसंबर 2004 और 20 दिसंबर 2008 को खरीदा था। इसकी सेल डीड उसके पास है और म्युनिसिपल रिकॉर्ड में उसका नाम भी दर्ज है।

छह जुलाई 2018 को याची और ललित मोहन व मधु गुप्ता को नोटिस देकर कहा गया कि उन्होंने भूखंड पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। इस नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने जिलाधिकारी को याची की आपत्तियों का निस्तारण कर उचित आदेश करने का निर्देश दिया। इसके बाद 24 अक्टूबर 2020 को एसडीएम सदर व पीडीए के अधिकारियों ने विवादित स्थल पर याची का निर्माण ढहा दिया।

याचिका में कहा गया है कि याची का सामान अब भी मलबा में पड़ा है, जिसे उसे उठाने की अनुमति दी जाए। वहीं, सरकारी वकील का कहना था कि जिलाधिकारी ने 18 सितंबर 2020 को हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार याची की आपत्तियों पर सुनवाई के बाद उन्हें खारिज कर दिया। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई।


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