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इलाहाबाद हाई कोर्ट आदेश- उत्तर प्रदेश के सभी पार्कों और खेल मैदानों से हटाया जाए अतिक्रमण

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी पार्कों खेल मैदानों का सही रखरखाव करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही तीन माह में आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:00 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 08:24 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट आदेश- उत्तर प्रदेश के सभी पार्कों और खेल मैदानों से हटाया जाए अतिक्रमण
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पर्यावरण संरक्षण राज्य का वैधानिक दायित्व है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पर्यावरण संरक्षण राज्य का वैधानिक दायित्व है। रोजगार और राजस्व पर लोक स्वास्थ्य, जीवन व पर्यावरण को वरीयता दी जानी चाहिए। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को सभी पार्कों, खेल मैदानों व खुली जमीन पर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया है।

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सभी पार्कों का स्थानीय निकायों के मार्फत ठीक से रखरखाव किया जाय, जिससे आम लोग पार्कों का उपयोग कर सकें। कोर्ट ने कहा कि पार्कों में किसी को भी कूड़ा डालने, इकट्ठा करने या अन्य उपयोग में लाने की अनुमति न दी जाए। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को सभी पार्कों, खेल मैदानों का सही रखरखाव करने के लिए सक्षम प्राधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने का निर्देश दिया है। साथ ही तीन माह में आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अभिनव उपाध्याय व न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की खंडपीठ ने रामभजन सिंह की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसके आवास के सामने सेक्टर-11 विजयनगर गाजियाबाद में स्थित नगर निगम के पार्क का अतिक्रमण कर लिया गया है। पार्क का उपयोग वाहन खड़ा करने के लिए किया जा रहा है, जबकि जिलाधिकारी ने कहा कि पार्क के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि निगम या प्राधिकरण पार्क के रखरखाव करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हैं। वे अपने वैधानिक दायित्व से बच नहीं सकते।

कूड़ा फेंकना कानूनन अपराध : कोर्ट ने कानून व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि पार्कों, खेल मैदानों के अतिक्रमण पुलिस बल से हटवाएं जाय। पार्क में कूड़ा फेंकना कानूनन अपराध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ अर्थ दंड लगाने के साथ एक माह की जेल की सजा दी जा सकती है। स्थानीय निकायों की वैधानिक जिम्मेदारी है कि वह पार्कों खेल मैदानों की देखभाल करें।

नहीं कर सकते अधिकार में कटौती : कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-21 प्रदूषण मुक्त जीवन का अधिकार देता है। विकास के नाम पर उद्योग लगाकर इस अधिकार में कटौती नहीं की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद-51ए नागरिकों के कर्तव्य बताता है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पार्कों खेल मैदानों की स्वच्छता का ध्यान रखें। 


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