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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की जारी की गाइडलाइन

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की गाइडलाइन जारी की है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 04 Jul 2019 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 07:50 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की जारी की गाइडलाइन
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की जारी की गाइडलाइन

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल करने की गाइडलाइन जारी की है। कोर्ट ने कहा है कि अग्रिम जमानत अर्जी पर पांच रुपये का स्टैम्प लगेगा। गिरफ्तारी की आशंका वाले व्यक्ति की अर्जी हलफनामे के साथ दाखिल होगी। अर्जी के दूसरे प्रस्तर में केस क्राइम नंबर, थाना, अपराध की धाराएं दर्ज होंगी, जबकि गैर जमानती अपराध में गिरफ्तारी की आशंका की वजह बतानी होगी। अर्जी के तीसरे प्रस्तर में यह लिखना होगा कि अपराध सीआरपीसी की धारा 438 की उपधारा 6 के अंतर्गत नहीं है।

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इसी प्रकार अर्जी के चौथे प्रस्तर में यह लिखना होगा कि इससे पहले उसने हाईकोर्ट या किसी अन्य अदालत में अर्जी दाखिल नहीं की है। पांचवें प्रस्तर में यह लिखना होगा कि क्या सत्र न्यायालय में कोई अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की गई है, तो उसकी स्थिति क्या है, उससे जुड़ा दस्तावेज भी लगाया जाए। विशेष कार्याधिकारी (आपराधिक) ने एक जुलाई 2019 को इस आशय का आदेश जारी किया है।

सत्र न्यायालय में दाखिल की जाए अग्रिम जमानत अर्जी

अग्रिम जमानत से जुड़ी अर्जी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सत्र न्यायालय में दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट का कहना है कि अग्रिम जमानत पर सुनवाई का अधिकार हाई कोर्ट व सत्र न्यायालय दोनों को है। अत: अर्जी सत्र न्यायालय में दाखिल की जाए। इसके बाद वह हाई कोर्ट आ सकती है। कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत के लिए सीधे हाई कोर्ट आने के बाद वादकारी को सत्र न्यायालय जाने का अवसर समाप्त हो जाएगा।

यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने नोएडा के प्रेम चौहान की अग्रिम जमानत को लेकर दाखिल की गई अर्जी की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट ने अर्जी को वापस करते हुए उसे खारिज कर दिया है। याची के खिलाफ नोएडा के सेक्टर 39 थाने में दुराचार के आरोप में प्राथमिकी दर्ज है। उसने अग्रिम जमानत पर रिहा होने के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि पहले सत्र न्यायालय में अर्जी दाखिल की जाए। यदि सत्र न्यायालय में जमानत नहीं मिलती तो उसके बाद हाई कोर्ट आने का विकल्प खुला रहेगा।


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