Move to Jagran APP

Allahabad High Court ने कहा- मृतक आश्रित नियुक्ति गिफ्ट नहीं, अचानक आए संकट में न्यूनतम राहत है

हाई कोर्ट ने कहा मृतक आश्रित की नियुक्ति परिवार की जीविका चलती रहे इसलिए की जाती है। यह उत्तराधिकार में नियुक्ति पाने का अधिकार नहीं। अधिकारियों को परिवार की आर्थिक स्थिति का आकलन कर अचानक आए संकट में राहत देने के लिए जरूरी होने पर नियुक्ति देने का अधिकार है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 01:08 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 01:08 PM (IST)
Allahabad High Court ने कहा- मृतक आश्रित नियुक्ति गिफ्ट नहीं, अचानक आए संकट में न्यूनतम राहत है
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि आश्रित नियुक्ति के लिए दबाव नहीं डाल सकता।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति बोनांजा, गिफ्ट या सिंपैथी सिंड्रोम नहीं है। यह कमाऊ सदस्य की मौत से परिवार के जीवनयापन पर अचानक आए संकट में न्यूनतम राहत योजना है। कहा कि लोक पदों पर नियुक्ति में सभी को समान अवसर पाने का अधिकार है। मृतक आश्रित नियुक्ति इस सामान्य अधिकार का अपवाद मात्र है, जो विशेष स्थिति से निपटने की योजना है।

loksabha election banner

कोर्ट ने नियुक्ति को निरस्‍त करने के मामले में हस्‍तक्षेप से किया इंकार

कोर्ट ने सहायक अध्यापक पिता की मौत के समय 8 वर्ष के याची को बालिग होने पर बिना सरकार की छूट लिए की गई नियुक्ति को निरस्त करने के मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट ने एकल पीठ के आदेश पर हस्तक्षेप से इन्कार करते हुए चुनौती में दाखिल विशेष अपील को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने नरेेंद्र कुमार उपाध्याय की अपील पर दिया है।

आश्रित कोर्ट में नियुक्ति पाने का किसी को निहित अधिकार नहीं है

कोर्ट ने कहा आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने का किसी को निहित अधिकार नहीं है, तुरंत मदद के लिए है। लंबे अंतराल के बाद नियुक्ति की योजना नहीं है। सरकार ने पांच साल के भीतर अर्जी देने का नियम बनाया है। इसके बाद राज्य सरकार को अर्जी देने में विलंब से छूट देने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा मृतक आश्रित कोटे में श्रेणी या वर्ग विशेष या अपनी पसंद के पद पर नियुक्ति की मांग का अधिकार नहीं है।

जानें, क्‍या है मामला

मालूम हो कि याची के पिता ज्ञान चंद्र उपाध्याय सहायक अध्यापक की सेवा काल में 7 जुलाई 91 को मौत हो गई। स्नातक के बाद याची ने आश्रित कोटे में 2007 में नियुक्ति की मांग की। हाई कोर्ट ने बीएसए जौनपुर को निर्णय लेने का निर्देश दिया। इस पर उन्होंने 31मार्च 2010को बिना सरकार की अनुमति लिए नियुक्ति कर दी। याची प्राइमरी स्कूल सरैया ब्लाक खुटहन, जौनपुर में नियुक्ति था। पांच मई 2012को याची को नोटिस जारी की गई कि नियमों के विपरीत नियुक्ति रद्द क्यों न की जाय। जवाब नहीं दिया तो बीएसए ने याची की नियुक्ति निरस्त कर दी, जिसे चुनौती दी गई। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी, इसके खिलाफ विशेष अपील दाखिल की गई थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.