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रेरा अथॉरिटी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, कहा- एक सदस्य की कार्रवाई भी अवैध नहीं

हाई कोर्ट कहा कि प्रमोटर समय से फ्लैट का कब्जा नहीं सौंपते तो मूल धन मय ब्याज के वसूली के लिए सिविल कोर्ट जाने की दलील नहीं दे सकते। रेरा एक्ट त्वरित राहत दिलाने के लिए गठित किया गया है। ऐसे में इसके गठन का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 10:14 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 07:52 AM (IST)
रेरा अथॉरिटी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, कहा- एक सदस्य की कार्रवाई भी अवैध नहीं
कोर्ट ने कहा कि रेरा के एक सदस्य की कार्रवाई को अवैध नहीं माना जा सकता है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अध्यक्ष और न्यूनतम दो सदस्यों से पूर्ण होती है। अध्यक्ष के न रहने पर दो सदस्य शिकायतों की सुनवाई कर सकते हैं। यदि एक सदस्य के शिकायत सुनने पर कंपनी अधिकारिता पर आपत्ति न करके मौन रहती है तो सदस्य के आदेश को इस आधार पर चुनौती नहीं दे सकती। कोर्ट ने कहा कि एक सदस्य की कार्रवाई को अवैध नहीं माना जा सकता।

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हाई कोर्ट कहा कि प्रमोटर समय से फ्लैट का कब्जा नहीं सौंपते तो मूल धन मय ब्याज के वसूली के लिए सिविल कोर्ट जाने की दलील नहीं दे सकते। रेरा एक्ट त्वरित राहत दिलाने के लिए गठित किया गया है। ऐसे में इसके गठन का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा, इसलिए बकाये की वसूली राजस्व प्रक्रिया से करने का आदेश उचित है।

हाई कोर्ट ने कहा कि बकाया वसूली के अलावा अन्य मामले में रेरा के आदेश के खिलाफ अपील का उपबंध है। याची अपील दाखिल कर सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूर्ति आरआर अग्रवाल की खंडपीठ ने मेसर्स प्राविड रियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड व मेसर्स एमआरजेवी कांस्ट्रक्शन कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याची कंपनी ने रेरा अथॉरिटी के 2012 में बुक फ्लैट का करार के तहत 2017 में कब्जा न सौंपने पर मूलधन 25 लाख 36 हजार 985 रुपये की वसूली आदेश को चुनौती दी थी। कहा कि आदेश के खिलाफ अपील होगी, क्योंकि एक सदस्य ने आदेश दिया है, जिसे अधिकारिता नहीं थी। कोर्ट ने कहा कि पद खाली रहने के कारण कार्रवाई अवैध नहीं होगी। कहा कि दो तरीके से वसूली नहीं हो सकती है। मूलधन के लिए सिविल कोर्ट व दंड, मुआवजा, ब्याज के लिए राजस्व वसूली की अलग प्रक्रिया नहीं अपनाई जा सकती। धारा-40 के तहत राजस्व वसूली की जा सकती है।


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