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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्जी अध्यापकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई को करार दिया वैध

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि फर्जी डिग्री से हुई नियुक्ति शून्य और अवैध है। ऐसी नियुक्ति को निरस्त कर बर्खास्त करने के लिए विभागीय जांच की जरूरत नहीं है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 07:50 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्जी अध्यापकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई को करार दिया वैध
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फर्जी अध्यापकों के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई को करार दिया वैध

प्रयागराज, जेएनएन। फ्रॉड और न्याय एक साथ नहीं रह सकते। फर्जी डिग्री से हुई नियुक्ति शून्य और अवैध है। ऐसी नियुक्ति को निरस्त कर बर्खास्त करने के लिए विभागीय जांच की जरूरत नहीं है। यह तल्ख टिप्पणी इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अध्यापकों की फर्जी नियुक्ति के मामले में की है। हाई कोर्ट ने एसआईटी जांच रिपोर्ट और डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की रिपोर्ट के बाद सत्र 2005 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में की गई सहायक अध्यापकों की बर्खास्तगी को वैध करार दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार फर्जी अध्यापकों से वसूली करने के लिए भी स्वतंत्र है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने सहायक अध्यापिका नीलम चौहान सहित 608 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है। विश्वविद्यालय ने 3637 फर्जी छात्रों को नोटिस दिया था। इसमें 2823 ने जवाब नहीं दिया। शेष 814 ने जवाब दिया है, जिसके बारे में निर्णय लिया जाना है। हाई कोर्ट ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा को तीन माह में 814 छात्रों के बारे में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि यदि निर्णय नहीं लिया जाता है तो सरकार 814 सहायक अध्यापकों के वेतन का 10 प्रतिशत कुलपति, कुलसचिव व दोषी अन्य अधिकारियों के वेतन से कटौती सुनिश्चित करे। जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही है उन्हें बहाल किया जाए। लेकिन, जिन अध्यापकों की डिग्रियां सही नहीं है, उनमें छेड़छाड़ की गई है, ऐसे अध्यापकों की नियुक्ति को रद करना वैध है। कहा कि 814 अध्यापकों, जिनके बारे में अभी विश्वविद्यालय को जांच करके निर्णय लेना है। निर्णय होने तक उनके विरुद्ध उत्पीड़न की कार्रवाई न की जाए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विश्वविद्यालय को अन्य कार्यवाही पूरी करने के लिए छह महीने का समय दिया है। उल्लेखनीय है कि 2004-05 में वित्तीय व गैर वित्तीय सहायता प्राप्त कालेजों में बीएड कोर्स की भर्ती परीक्षा ली गई थी। इसमें 57 कालेज सहायता प्राप्त व 25 कालेज स्ववित्त पोषित हैं। जहां कुल 8150 सीट हैं। काउंसिलिंग व प्रबंधक कोटे से प्रवेश दिया गया। कालेजों ने स्वीकृत सीटों से ज्यादा छात्रों का प्रवेश लिया।

हाईकोर्ट के आदेश पर बीएड परिणाम घोषित कर दिया गया। हजारों लोगों ने अध्यापक भर्ती में आवेदन देकर नौकरी हासिल कर ली। फर्जी डिग्री की शिकायत होने पर उसकी जांच एसआइटी को सौंपी गई। एसआइटी ने 14 अगस्त 2017 को रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने फर्जी डिग्री वाले हजारों सहायक अध्यापकों की नियुक्ति रद करके उन्हें बर्खास्त कर दिया। उसे कोर्ट में चुनौती दी गई थी।


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