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ग्रेटर नोएडा के सीईओ इलाहाबाद हाई कोर्ट में तलब, किसानों की याचिका पर विकास प्राधिकरण ने नहीं दिया था रिकार्ड

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा के सीईओ या एसीईओ को रिकार्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है। ग्रेटर नोएडा के खैरपुर गुर्जर निवासी महेश और चार अन्य की याचिका में कहा गया है कि याचियों के आठ परिवार हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 27 May 2022 09:04 AM (IST)Updated: Fri, 27 May 2022 09:04 AM (IST)
ग्रेटर नोएडा के सीईओ इलाहाबाद हाई कोर्ट में तलब, किसानों की याचिका पर विकास प्राधिकरण ने नहीं दिया था रिकार्ड
किसानों की याचिका पर तलब रिकार्ड नहीं भेजे जाने पर ग्रेटर नोएडा के सीईओ को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलब किया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खैरपुर गुर्जर गांव के किसानों की ओर से दाखिल याचिका पर तलब रिकार्ड नहीं भेजे जाने पर ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को तलब कर लिया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से रिकार्ड तलब किया गया था। कई सुनवाई बीतने के बावजूद प्राधिकरण की ओर से मांगा गया रिकार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया है। मामले की सुनवाई अब 30 मई को होगी।

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कोर्ट ने रिकार्ड के साथ हाजिर होने का दिया आदेश : कोर्ट ने सीईओ या एसीईओ को रिकार्ड के साथ व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया है। ग्रेटर नोएडा के खैरपुर गुर्जर निवासी महेश और चार अन्य की याचिका में कहा गया है कि याचियों के आठ परिवार हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रत्येक परिवार के लिए तीन हजार वर्गमीटर जमीन आबादी के रूप में अधिग्रहण मुक्त करता है लिहाजा आठ परिवारों के लिए 24 हजार वर्गमीटर जमीन अथारिटी छोड़ सकती है। याची केवल 23 हजार वर्गमीटर जमीन छोड़ने की मांग कर रहे हैं। प्राधिकरण इसके लिए तैयार नहीं है जबकि प्राधिकरण ने कुछ परिवारों को अपनी पालिसी से अलग हटकर तीन हजार वर्गमीटर से भी ज्यादा जमीन बतौर आबादी अधिग्रहण मुक्त की है। कई मामलों में तो अधिग्रहीत जमीन को लीज बैक के जरिए वापस लौटाया है। इस पॉलिसी का लाभ याचियों को भी मिलना चाहिए।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने मांग का विरोध किया : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने याचियों की इस मांग का विरोध किया। प्राधिकरण के वकील ने दावा किया कि किसी को इतनी जमीन नहीं दी गई है। प्राधिकरण ने किसी किसान परिवार को तीन हजार वर्गमीटर जमीन भी आबादी के लिए नहीं छोड़ी है। लिहाजा याचियों को भी इतनी जमीन आबादी के लिए नहीं दी जा सकती है।

अथारिटी व याची के अधिवक्‍ताओं का तर्क : अथारिटी के वकील ने कोर्ट को बताया कि याचियों को नौ हजार वर्गमीटर जमीन प्राधिकरण आबादी के रूप में दे रहा है। इस पर याची के अधिवक्ता पंकज दुबे ने कहा कि प्राधिकरण के वकील न्यायालय को गुमराह कर रहे हैं। प्राधिकरण ने तमाम लोगों को न केवल तीन हजार वर्ग मीटर बल्कि इससे भी ज्यादा जमीन आबादी के तौर पर लीजबैक के जरिए वापस लौटाई है। बड़ी संख्या में किसान परिवारों के बड़े-बड़े भूखंडों को अधिग्रहण से मुक्त रखा है। लिहाजा प्राधिकरण को आदेश दिया जाए कि उसने अब तक जिन लोगों को आबादी के लिए जमीन लौटाई है या अधिग्रहण मुक्त की है, उनकी सूची न्यायालय में उपलब्ध कराएं।

पिछली दो सुनवाई पर मांगी गई सूचनाएं नहीं दी गईं : दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने प्राधिकरण के वकील को आदेश दिया कि आबादी के लिए अधिग्रहण मुक्त की गई जमीन और लीजबैक के जरिए किसानों को वापस लौटाई गई जमीन का पूरा ब्योरा उपलब्ध कराएं। याची के वकील पंकज दुबे का कहना था कि कोर्ट का यह आदेश आने बाद प्राधिकरण सुनवाई को टाल रहा है। पिछली दो सुनवाई पर मांगी गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं कराई गईं।


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