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Allahabad High Court: साजिश और धोखाधड़ी के आरोपी की हाई कोर्ट ने सशर्त जमानत की मंजूर

सरकारी वकील का कहना था कि याची पर हत्या का भी केस है। इसके खिलाफ 21 केस दर्ज है। इसलिए अर्जी खारिज की जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने लंबे समय से जेल की अवधि को देखते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 05:15 PM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 06:12 PM (IST)
Allahabad High Court: साजिश और धोखाधड़ी के आरोपी की हाई कोर्ट ने सशर्त जमानत की मंजूर
साजिश और धोखाधड़ी के आरोपी की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सशर्त जमानत मंजूर

प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने षड्यंत्र धोखाधड़ी के आरोपी तिलखांड, कानपुर नगर के विवेक तिवारी की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। उन्हें व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूतियों पर रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अली जामिन ने दिया है। अर्जी पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने बहस की। मेसर्स बायोमास रिसर्च एण्ड टेक्निकल सोल्यूशन प्रालि कंपनी के प्रोपराइटर सुमित अवस्थी व रामवती अवस्थी ने इसी नाम से फर्म खोली और कंपनी की रकम का गबन कर लिया। सुमित अवस्थी के खिलाफ 34 व रामवती अवस्थी के खिलाफ 25 आपराधिक मामले दर्ज हैं। एक केस के अलावा सभी में जमानत पर रिहा है। इस केस में सुमित, रामवती व ॠषिनाथ अवस्थी की जमानत हो चुकी है। याची सुमित का साला है। वह 19 जुलाई 2016 से जेल में बंद हैं। याची अधिवक्ता का कहना था कि सह अभियुक्तों को जमानत मिली है, इसलिए उसे भी जमानत पर रिहा किया जाए। सरकारी वकील का कहना था कि याची पर हत्या का भी केस है। इसके खिलाफ 21 केस दर्ज है। इसलिए अर्जी खारिज की जाए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने लंबे समय से जेल की अवधि को देखते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। 

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संविदा सेवा को लागू करने का समादेश नहीं दिया जा सकता-हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट गैर वित्त पोषित शिक्षण संस्थान के खिलाफ समादेश याचिका जारी नहीं की जा सकती। हाईकोर्ट ऐसे संस्थान की सेवा संविदा को लागू करने का निर्देश नहीं दे सकती। कोर्ट ने स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट के तहत राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने ऑर्मी पब्लिक स्कूल , फतेहगढ़ जिला फर्रुखाबाद की अध्यापिका कादंबरी की याचिका पर दिया है। कालेज के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने आपत्ति की कि सुप्रीम कोर्ट ने वैश डिग्री कालेज शामली केस में स्पष्ट कहा है कि व्यक्तिगत सेवा संविदा को याचिका से लागू नहीं कराया जा सकता।इसके लिए बने कानूनों का सहारा लिया जा सकता है। याचिका में वर्षों से संविदा पर कार्यरत अध्यापक को स्थाई करने की मांग की गई थी जिसको कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कॉलेज और अध्यापक के बीच का प्राइवेट कॉन्ट्रैक्ट है जिसको हाई कोर्ट के द्वारा समा देश के द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता


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