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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हेरोइन तस्करी के आरोपी की जमानत मंजूर की, वाराणसी में दर्ज थी एफआइआर

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्रा ने बहस की। कहा कि मौके से उसे गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही उससे कोई नशीले पदार्थ की बरामदगी हुई। सह अभियुक्त के बयान में नाम सामने आया है। उसे रंजिशन फंसाया गया है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 18 May 2022 08:08 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2022 08:08 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हेरोइन तस्करी के आरोपी की जमानत मंजूर की, वाराणसी में दर्ज थी एफआइआर
इलाहाबाद हाई कोर्ट में हेरोइन तस्‍करी के मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट ने निर्णय दिया।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नशीला पदार्थ हेरोइन की तस्करी के आरोपी की जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्र कुमार राय ने सुनील कुमार कश्यप की याचिका पर दिया है। याची के खिलाफ हेरोइन की तस्करी करने का आरोप है। 13 अप्रैल 2004 में वाराणसी जिले के डीआरआइ थाने मे एफआइआर दर्ज कराई गई है। याची अभी तक अन्तरिम जमानत पर था। फरवरी 22 से जेल में है।

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याची के अधिवक्‍ता ने कहा- रंजिशन फंसाया गया है : याची के वरिष्ठ अधिवक्ता दया शंकर मिश्रा ने बहस की। कहा कि मौके से उसे गिरफ्तार नहीं किया गया और न ही उससे कोई नशीले पदार्थ की बरामदगी हुई। सह अभियुक्त के बयान में नाम सामने आया है। उसे रंजिशन फंसाया गया है। हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने जमानत अर्जी का विरोध किया। कहा कि वह नशीला पदार्थ की तस्करी करने वाले गैंग के रूप में काम कर रहा है।

हाई कोर्ट ने धोखाधड़ी के आरोपियों की सशर्त जमानत मंजूर : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बायोमास रिसर्च एवं टेक्निकल सोल्यूशन कंपनी कानपुर नगर के नाम धोखाधड़ी करने के आरोपियों की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है। सभी आरोपित 2015 से जेल में बंद हैं। इन्हें व्यक्तिगत मुचलके व दो प्रतिभूति पर रिहा करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने सुमित अवस्थी, आनंद त्रिपाठी व ऋषि नाथ त्रिपाठी की जमानत अर्जियों को स्वीकार करते हुए दिया है।

कानपुर नगर के बर्रा थाना के कोतवाली में दर्ज है एफआइ : सभी आरोपियों के खिलाफ कानपुर नगर के बर्रा थाना के कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई गई है। चार्जशीट दाखिल है। मुकदमे का ट्रायल चल रहा है। दोनों मामलों में जमानत मंजूर की गई है। अर्जी पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार ओझा ने बहस की। उनका कहना था कि याचीगण को फंसाया गया है। इनकी धोखाधड़ी मामले में कोई भूमिका नहीं है। कोर्ट ने जेल में बिताये समय वह सजा की प्रकृति पर विचार करते हुए इन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।


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