हाईकोर्ट : शिया वक्फ बोर्ड अध्यक्ष वसीम रिजवी की गिरफ्तारी पर रोक नहीं
इस याचिका में उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने और अरेस्ट स्टे की मांग की थी।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इलाहाबाद हाईकोर्ट से शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी को राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने बरेली में वक्फ संपत्ति का घपला करने के आरोप में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति तरुण अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति राजुल भार्गव की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट ने लगातार अपराध करने के कारण हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। कोर्ट को बताया गया कि इससे पहले भी छह आपराधिक मामलों की जांच सीबीसीआइडी कर रही है। सीबीसीआइडी ने कानपुर, मेरठ, आगरा, बरेली में वक्फ संपत्ति का घोटाला करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई है।
इसके खिलाफ रिजवी हाईकोर्ट पहुंचे थे। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अधीनस्थ न्यायालय में समर्पण करके जमानत अर्जी दाखिल करने को कहा था। रिजवी ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया और कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने भी याचिका खारिज करते हुए, हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया। इसके बावजूद रिजवी ने न जमानत कराई और न ही अधीनस्थ कोर्ट में समर्पण किया है। अब बरेली में मोहम्मद हुसैन वक्फ संख्या 1112 की तीन दुकानों की एक करोड़ बीस लाख की पगड़ी हड़प जाने तथा दुकानों को पांच हजार रुपये प्रति माह में किराये पर उठाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई गई।
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सात साल पहले वक्फ की दुकानों की 36 लाख पगड़ी ली गई थी और दस हजार रुपये माह पर दुकानें दी गई हैं, जो पगड़ी ली गई थी। उसका दस फीसद वक्फ बोर्ड को तथा शेष धनराशि वक्फ मोहम्मद हुसैन के खाते में जमा करा दी गई। इस बार याची ने पगड़ी की एक करोड़ बीस लाख रुपये की राशि न तो वक्फ मोहम्मद हुसैन के खाते में जमा कराई और न ही वक्फ बोर्ड को उसका हिस्सा दिया। लगभग सवा करोड़ के घोटाले को लेकर यह प्राथमिकी बरेली के किला थाने में दर्ज की गई है। जिसकी वैधता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता तथा कई अपराधों में लिप्तता को देखते हुए हस्तक्षेप से इन्कार कर दिया है।
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