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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को बुलंदशहर भूमि मुआवजा घोटाले की जांच करने के दिया निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि बुलंदशहर भूमि मुआवजा घोटाले में एफआईआर दर्ज करके विवेचना करे और 11 मई को जांच की प्रगति रिपोर्ट पेश करे।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 07:26 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 07:33 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को बुलंदशहर भूमि मुआवजा घोटाले की जांच करने के दिया निर्देश
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को बुलंदशहर भूमि मुआवजा घोटाले की जांच करने के दिया निर्देश

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुलंदशहर भूमि मुआवजा घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई इस घोटाले की एफआईआर दर्ज करके विवेचना करे। कोर्ट ने घोटाले की जांच की प्रगति रिपोर्ट 11 मई को पेश करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किसान कमल सिंह व अन्य की याचिकाओं पर दिया है।

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किसानों को विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने वर्ष 1993 में दो करोड़ 87 लाख 14 हजार 996.53 रुपये का अवार्ड घोषित किया। कोर्ट ने उसे बढ़ाकर सात करोड़ 13 लाख 37 हजार 504 रुपये कर दिया। अधिकांश किसानों ने मुआवजा ले लिया। इस जमीन का अधिग्रहण राज्य सरकार ने 1991 में उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के औद्योगिक ग्रोथ सेंटर के लिए किया था, लेकिन निगम ने जमीन में कोई कार्य नहीं किया। इससे किसान उसमें खेती करते रहे, फिर 2013 में यही जमीन टेहरी हाइड्रो पावर डेवलपमेंट कारपोरेशन इंडिया लिमिटेड को 1320 मेगावाट सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट बनाने के लिए देने का फैसला लिया गया।

इससे दोनों निगमों के अधिकारियों ने जमीन का अतिक्रमण कर कब्जा जमाये लोगों को 387 करोड़ 17 लाख रुपये से अधिक का मुआवजा दिलाया। लगभग चार सौ करोड़ रुपये का मुआवजा अधिकारियों की मिलीभगत से दोबारा दिलाने का खुलासा हुआ तो कोर्ट ने छानबीन शुरू की। कोर्ट ने कहा कि जब किसानों को मुआवजे का भुगतान उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम ने कर दिया था तो दोबारा उन्हीं लोगों को मुआवजा देने की सिफारिश अधिकारियों ने क्यों की? इससे पैसा (मुआवजा) ले चुके किसान मुआवजे के लिए कोर्ट भी आ रहे हैं।

हाई कोर्ट ने कहा कि कमल सिंह को मुआवजे के भुगतान की प्रक्रिया में अवरोध नहीं है, लेकिन यह याचिका के निर्णय पर तय होगा। अधिग्रहण की वैधता को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। याचिका पर निगम के वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, पावर प्रोजेक्ट के अधिवक्ता सुधांशु श्रीवास्तव ने बहस किया।


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