जौहर यूनिवर्सिटी का गेट गिराने के आदेश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से नहीं मिली राहत
मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी रामपुर का गेट गिराने और सवा तीन लाख रुपये हर्जाना लगाने के एसडीएम के आदेश के खिलाफ याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है।
प्रयागराज, जेएनएन। मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी, रामपुर का गेट गिराने और सवा तीन लाख रुपये हर्जाना लगाने के एसडीएम के आदेश के खिलाफ याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने याची को आदेश के खिलाफ जिला जज के समक्ष अपील दाखिल करने की छूट दी है। साथ ही मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्त तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के मार्फत दाखिल याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता सफदर काजमी का कहना था कि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आजम खां के विरुद्ध प्रशासन राजनीतिक भावना से ग्रसित होकर कार्रवाई कर रहा है। इसके चलते विश्वविद्यालय के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है।
इस पर राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अजीत सिंह का कहना था कि सरकारी जमीन व गेस्ट हाउस को विश्वविद्यालय की बाउंड्री में घेरकर अवैध कब्जा किया गया है। एसडीएम ने कानूनी प्रक्रिया के तहत आदेश पारित किया है। ऐसे आदेश को अपील दाखिल करने का नियम है। इस पर कोर्ट ने याची की अपील दाखिल करने की छूट देते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।
जौहर यूनिवर्सिटी के भविष्य पर संकट के बादल
सपा सांसद आजम खां के ड्रीम प्रोजेक्ट मुहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी पर संकट के बादल छा गए हैं। पहले यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर विवाद हुआ। इस पर अजीमनगर थाने में 27 मुकदमे दर्ज कराए गए। अब यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी से मदरसा आलिया की 25 हजार किताबें बरामद होने का मामला सामने आया है। यूनिवर्सिटी के चार कर्मचारियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रशासन ने यूनिवर्सिटी का गेट लोक निर्माण विभाग की जमीन पर बताते हुए इसे तोड़ने के आदेश जारी कर दिए हैं। यूनिवर्सिटी की 140 बीघा जमीन का पट्टा भी निरस्त कर दिया गया है। यूनिवर्सिटी में खर्च हुए 88 करोड़ और शत्रु संपत्ति की जांच भी एसआइटी को सौंप दी गई है। इस सबके चलते जौहर यूनिवर्सिटी के भविष्य पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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