इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 10 वर्ष कैद में बदल दी आजीवन कारावास की सजा, जानें क्या है पूरा मामला
अपील पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि रमेश का कृत्य हत्या की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि उससे पूर्व उसने कभी अपने माता पिता से झगड़ा नहीं किया था। मां पर उसने प्रहार कुल्हाड़ी के धारदार वाले हिस्से से नहीं किया बल्कि पिछले हिस्से से मारा था।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुल्हाड़ी मारकर मां की हत्या और बहन को गंभीर रूप से घायल करने के आरोपी को मिली उम्रकैद की सजा को 10 वर्ष के कारावास में तब्दील कर दिया है। अदालत ने कहा कि यह मामला हत्या का नहीं, सदोष मानव वध का प्रकरण है। ऐसी दशा में अभियुक्त को आइपीसी की धारा-304 ए के तहत सजा न्यायसंगत होगा। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र व न्यायमूर्ति उमेश चंद शर्मा की खंडपीठ ने भदोही के रमेश यादव की अपील पर दिया है।
फरवरी 2016 को मां के कत्ल का लिखा गया था केस
मामले के अनुसार अपीलार्थी रमेश यादव के खिलाफ 16 फरवरी 2016 को उसके पिता बनारसी ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि रमेश ने अपनी मां सुखरानी देवी को कुल्हाड़ी से मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया है। साथ ही बहन बिंदु देवी पर भी कुल्हाड़ी से वार किया, जिससे वह घायल हो गई।
कपड़े धोने से इन्कार पर किया था कुल्हाड़ी से प्रहार
उन दोनों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान 16 दिन बाद सुखरानी देवी की मौत हो गई। चश्मदीद गवाहों के अनुसार घटना के दिन रमेश की मां कुएं पर कपड़े धो रही थी। उसी वक्त रमेश ने मां से अपने कपड़े धोने को कहा। मां ने कहा कि उसके कपड़े वह अगले दिन धोएगी। इससे नाराज होकर रमेश ने मां के ऊपर कुल्हाड़ी से कई वार किए।
और कोर्ट ने कहा- इरादा कत्ल का नहीं था
मां का बचाव करने आई बिंदु देवी को भी उसने कुल्हाड़ी से मारा, जिससे वह घायल हो गई। अपील पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि रमेश का कृत्य हत्या की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि उससे पूर्व उसने कभी अपने माता पिता से झगड़ा नहीं किया था। मां पर उसने प्रहार कुल्हाड़ी के धारदार वाले हिस्से से नहीं किया बल्कि पिछले हिस्से से मारा था। इसका अर्थ यह है कि उसका इरादा हत्या करने का नहीं था बल्कि तात्कालिक आवेश में उसने यह कृत्य किया।