Prayagraj: अटाला बवाल के मुख्य आरोपित की जमानत मंजूर, इस वजह से पत्थरबाजी व आगजनी की घटना को दिया था अंजाम
प्रयागराज के अटाला मोहल्ले में बवाल करने के आरोप में जावेद पंप सहित दर्जनों लोगों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। मुख्य आरोपित जावेद पंप को उसी दिन गिरफ्तार किया गया था। तभी से वह जेल में है। उसके खिलाफ रासुका की कार्रवाई की गई है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रयागराज के अटाला मोहल्ले में ईद की नमाज के बाद पत्थरबाजी तथा पुलिस व सुरक्षाकर्मियों पर हमला करने के अलावा आगजनी की घटना में शामिल मुख्य आरोपित जावेद पंप की जमानत तीसरे मुकदमे में भी स्वीकार कर ली है। इससे पहले इसी मामले से जुड़े दो मुकदमों में उसकी जमानत हाई कोर्ट से ही मंजूर हो चुकी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक वर्मा ने दिया है।
दर्जनों लोगों के खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
जावेद पंप सहित दर्जनों लोगों के खिलाफ 10 जून 2022 को प्रयागराज के खुल्दाबाद, करेली सहित अन्य थानों में विधि विरुद्ध जमाव, प्रदर्शन जानलेवा हमला, आगजनी, सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी, विस्फोटक पदार्थों का उपयोग करने तथा सार्वजनिक संपत्ति को क्षति पहुंचाने सहित दर्जनों गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने उसे 10 जून को ही रात में गिरफ्तार कर लिया था। तब से वह जेल में निरुद्ध है। आधार लिया गया कि पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। दो अन्य मामलों मे याची को जमानत मिल चुकी है।
यह था अधिवक्ताओं का तर्क
जमानत अर्जी का विरोध कर रहे शासकीय अधिवक्ताओं का तर्क था कि सीसीटीवी फुटेज मौजूद है। आरोपितों ने नूपुर शर्मा के बयान के बाद सोची समझी साजिश के तहत पत्थरबाजी और आगजनी की घटना अंजाम दी। कई पुलिस व सुरक्षा कर्मी घायल हुए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद याची की जमानत मंजूर कर ली। जावेद पंप के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है।
यमुना बांध डूब क्षेत्र में अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर में यमुना नदी बांध के डूब क्षेत्र में हुए अवैध निर्माण के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका पर नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार, नवीन ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण अथारिटी (नोएडा) एवं राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर तथा न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ ने सेक्टर 63 ए निवासी रत्न मिश्र की याचिका पर दिया है।
याची की तरफ से अधिवक्ता पुष्कर मेहरोत्रा और क्लीन गंगा मिशन के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने पक्ष रखा। याची का कहना है कि नोएडा की सीईओ को इस मामले में कोई कार्रवाई करने अथवा आदेश देने का अधिकार नहीं है। केवल क्लीन गंगा मिशन को ही अधिकार है। इसलिए नोएडा की सीईओ रितु माहेश्वरी के आदेश को अधिकार क्षेत्र से बाहर मानते हुए रद किया जाए। क्लीन गंगा मिशन के अधिवक्ता का कहना था कि यह यमुना नदी डूब क्षेत्र में अतिक्रमण का मामला है। अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई का अधिकार नोएडा व राज्य सरकार को ही है। ग्राम चक मंगरौरा सहित अन्य गांवों में यमुना किनारे जमीन खरीदी गई है जो बांध के डूब क्षेत्र में है। यहां अवैध निर्माण किया गया है।