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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- क्या दिल्ली से घूमने आए यहां, अंडर सेक्रेटरी का यात्रा भत्ता भी रोका

अंडर सेक्रेटरी के इस व्यवहार से खफा कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार प्रयागराज आने का यात्रा भत्ता उन्हें न दें। यही नहीं अंडर सेक्रेट्री के बिना रिकार्ड कोर्ट में आने पर टिप्पणी की कि वह प्रयागराज घूमने आए हैं। कोर्ट अब इस केस की सुनवाई 11 जुलाई को करेगी।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 24 May 2022 09:03 PM (IST)Updated: Tue, 24 May 2022 09:03 PM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- क्या दिल्ली से घूमने आए यहां, अंडर सेक्रेटरी का यात्रा भत्ता भी रोका
प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों के मानदेय का है मामला

प्रयागराज, विधि संवाददाता। प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27 हजार से अधिक अनुदेशकों का मानदेय 17 हजार रुपये प्रतिमाह देने के एकल जज के निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपीलों पर मंगलवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। भारत सरकार की ओर से मुख्य न्यायाधीश की बेंच में उपस्थित अंडर सेक्रेट्री स्वर्निश कुमार सुमन बिना किसी रिकार्ड के में आए थे।

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नाराज अदालत ने कहा- नहीं दिया जाए यात्रा भत्ता

अंडर सेक्रेटरी के इस व्यवहार से खफा कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार प्रयागराज आने का यात्रा भत्ता उन्हें न दें। यही नहीं, अंडर सेक्रेट्री के बिना रिकार्ड कोर्ट में आने पर टिप्पणी की कि वह प्रयागराज घूमने आए हैं। हाई कोर्ट ने एएसजीआइ शशि प्रकाश सिंह के अनुरोध पर इस मुकदमे की सुनवाई को एक बार फिर टाल दिया। कोर्ट अब इस केस की सुनवाई 11 जुलाई को करेगी।

पिछली तारीख पर भी मांगा था एक और मौका

केंद्र सरकार की तरफ से इस मामले में पर्याप्त कागजात नहीं होने के कारण पिछली तारीख पर अनुरोध किया गया था कि कोर्ट एक मौका दें ताकि अगली तारीख पर किसी जिम्मेदार अधिकारी को बुलाकर कोर्ट को इस मामले में सहयोग किया जा सके। भारत सरकार के अधिवक्ता के अनुरोध पर 24 मई को मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने इस केस को सुनने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ इस मामले में राज्य सरकार द्वारा दाखिल अपीलों पर सुनवाई कर रही है। एकल जज के आदेश के खिलाफ सरकार ने अपील इलाहाबाद हाईकोर्ट वह लखनऊ बेंच दोनों जगह कर रखी है। सरकार की इन अपीलों पर एक साथ सुनवाई हो रही है।

लखनऊ से वीडियो कांफ्रेंसिंग के मार्फत वहां के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा तथा इलाहाबाद हाई कोर्ट से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी इस मामले में सरकार की तरफ से उपस्थित रहे।

सरकार का कहना है कि अनुदेशकों की नियुक्ति कांट्रैक्ट के आधार पर की गई है। केंद्र सरकार ने इस मद में आवश्यकतानुसार पैसा राज्य सरकार को अपने अंश का नहीं दिया है। ऐसे में सरकार अपने स्तर से अनुदेशकों काे भुगतान कर रही है। वहीं, अनुदेशकों की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपनी योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का मानदेय 2017 में 17 हजार कर दिया था। इसके बावजूद उन्हें 17 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से पैसा नहीं दिया जा रहा है।


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